मेरे आदरणीय माता-पिता
Mere Adarniya Mata Pita
मुझे अच्छी तरह याद है, जब मैं अपनी माँ का हाथ पकड़कर उन्हें वैष्णो देवी की चढ़ाई पर ले गया था। तब मेरी उम्र मात्र छह वर्ष थी। मुझे वो दिन भी याद है, जब मेरे पिताजी मुझे अपने कंधे पर बैठाकर मेला दिखाने ले गए थे और मुझे झुला झुलाया था तथा गुब्बारा भी दिलाया था। मेरे माता-पिता मुझे बहुत प्यार करते हैं। जब मैं बीमार पड़ जाता, तो माँ-पिताजी दोनों रात-रात भर जागते थे। तेज़ बुखार होने पर पिताजी मेरे माथे पर पानी में भिगोकर पट्टी रखते थे, तो माँ अपने पल्लू से मेरे हाथ व पैर के पंजों को झाड़ती रहती थी ताकि मेरा बुखार जल्दी से उतर जाए। मेरे हृदय में मेरे माता-पिता के प्रति असीम आदर है। मैं नित्य सुबह उठकर अपने माता-पिता के चरण-स्पर्श करता हूँ। फिर वे मुझे आशीर्वाद देते हैं। मैं सोचता हूँ कि मेरे माता-पिता की छत्रछाया मुझ पर सदैव बनी रहे ताकि मुझे हमेशा उनका आशीर्वाद और प्यार मिलता रहे। मेरे माता-पिता मेरे लिए सब कुछ त्याग करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं और मैं भी उनकी प्रत्येक आज्ञा का पालन करने के लिए हमेशा तैयार रहता हूँ। मेरे आदरणीय माता-पिता दुनिया के सबसे अच्छे माता-पिता हैं।