Hindi Essay, Paragraph on “Mere Acche Adhyapak ”, “मेरे अच्छे अध्यापक”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

मेरे अच्छे अध्यापक

Mere Acche Adhyapak 

मेरे विद्यालय के सभी अध्यापक बहुत अच्छे थे। सभी छात्रों को से समझाकर पढ़ाते थे। परंतु गणित के अध्यापक माहेश्वरी जी बहुत अच्छे थे। मेरी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए मैं समय विद्यालय की फीस भी नहीं दे पाता था। माहेश्वरी जी मेरे कक्षा अध्यापक भी थे। वह मेरी दयनीय आर्थिक स्थिति से परिचित थे। वह सदैव मेरा सहयोग करते थे। वे अक्सर अपनी जेब से मेरी फीस भी दे देते थे।

आरंभ में, जब मैंने दिगंबर जैन हायर सैकण्डरी स्कूल में प्रवेश लिया तब मैं गणित और विज्ञान विषयों में बहुत कमज़ोर था। इसके अतिरिक्त मैं अंग्रेजी में भी कमजोर था। अर्थाभाव के कारण मैं ट्यूशन पढ़ने में असमर्थ था। मेरे अंग्रेजी के अध्यापक ने जब यह अनुभव किया मुझ पर अधिक ध्यान देने लगे। इस कारण धीरे-धीरे मेरी अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ हो गई। इसके अतिरिक्त मैंने विज्ञान के अध्य खजान सिंह जी से निवेदन किया, तो उन्होंने भी मुझ पर अपनी की और मुझे स्कूल में ही अधिक समय देकर पढ़ाना प्रारंभ कर दिया।

इस प्रकार मेरे अच्छे अध्यापक के कारण मैं विज्ञान विषय में से पारंगत हो गया। अब गणित विषय शेष रहा, जिसमें मैं कमजोर था छमाही परीक्षा में मेरे बहुत कम अंक आए। तत्पश्चात् मैंने अपने गणित के अध्यापक महोदय को भी अपनी दयनीय आर्थिक स्थिति के बारे में बताया, तो उन्होंने मुझे किताब-कापी लेकर शाम को अपने घर बुला लिया, और मुझे गणित पढ़ाने लगे। इसी प्रकार मैं प्रतिदिन उनके घर जाकर उनसे पढ़ने लगा।

अंत में, जब हाई स्कूल बोर्ड की परीक्षा का परिणाम निकला तो गणित में मेरे सबसे अधिक अंक थे। यह देखकर मेरे गणित के अध्यापक ने मेरी पीठ थपथपाकर मुझे शाबाशी दी, तो मैंने गदगद होकर उनके चरण स्पर्श कर लिए।

इस प्रकार मेरे विद्यालय के मेरे अच्छे अध्यापकों के कारण मैंने प्रथम श्रेणी में दसवीं कक्षा उत्तीर्ण कर ली। तब मैंने सोचा-यदि भविष्य में इसी तरह मुझे अच्छे एवं दयालु अध्यापक मिलते रहे, तो मैं एम.ए. तक अवश्य पढ़ लूँगा। तत्पश्चात् मैं भी एक अध्यापक बनूँगा और गरीब एवं कमजोर विद्यार्थियों की सदैव सहायता करूँगा। मेरे अच्छे अध्यापकों का शत्-शत् प्रणाम!

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