मेरा परिवार
Mera Parivar
निबंध नंबर :- 01
मनष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह सदैव परिवार, कुटम्बी समाज में रहता है। हमारे ग्रंथों में भी कहा है-“वसुधैव कुटम्बका अर्थात् संपूर्ण संसार एक कुटुम्ब है, एक परिवार है। प्रत्येक व्यक्ति को एक परिवार होता है। परिवार में माता-पिता, पुत्र-पुत्री, बहन-भाई दादा-दादी, चाचा-चाची, ताया-ताई आदि अनेक सदस्य होते हैं। परिवार तो ऐसे होते हैं, जिनमें सौ या सौ से अधिक सदस्य होते हैं। कई परिवार दो, चार या आठ सदस्यों के भी होते हैं। ये छोटे परिवारों की श्रेणी में आते हैं।
सरकार ने तो छोटे परिवार का नारा दिया है-“छोटा परिवार. सखी परिवार।” यह नारा सरकार ने जनसंख्या को नियंत्रित करने के ध्येय से दिया है। आज भारत की जनसंख्या सौ करोड़ से अधिक है। इसलिए छोटे परिवार का नारा उचित है।
मेरा भी एक छोटा-सा परिवार है। मेरे परिवार में माता-पिता मेरी न और दादा-दादी हैं। मेरे दादा-दादी मुझे बहुत प्यार करते हैं। दादाजी मुझे सदैव टॉफी, लड्डू, मूंगफली और फल आदि देते रहते हैं। की बड़ी बहन भी मुझे बहुत स्नेह करती है। वह हमेशा मेरी पढाई पर ध्यान देती है। वह मेरे होमवर्क, परीक्षाएँ, किताब-कापियाँ, पैन-पैंसिल जाति का सदैव ख्याल रखती हैं। वह प्रतिदिन मुझे सुबह चार बजे उठा देती है। वह कहती है-“सुबह का याद हुआ पाठ हमेशा याद रहता है।” वह मुझे गणित, विज्ञान और अंग्रेजी में मेरी हमेशा मदद करती है।
मेरी बड़ी बहन के कारण ही मैं हमेशा स्कूल में अव्वल आता हूँ। मेरी बड़ी बहन बी.एस.सी में पढ़ रही है। गणित और विज्ञान उसके प्रिय विषय हैं। मेरी मम्मी भी मुझे बहुत प्यार करती है। वह हमेशा मेरे खाने-पीने का ख्याल रखती है। स्कूल जाते समय वह मुझे सदैव दूध के साथ आलू का परांठा देती है और अपने हाथों से मेरे बस्ते में लंच रखती है।
इसी प्रकार मेरे पिताजी भी मेरा बहुत ध्यान रखते हैं। वह मुझे प्रतिदिन स्कूल छोड़कर आते हैं। मेरे लिए नए-नए कपड़े लाते हैं। खेलने के लिए बैट और बॉल भी लाते हैं। वह हर रविवार को मुझे पार्क में क्रिकेट खिलाने ले जाते हैं। वहाँ मुझे खूब क्रिकेट खिलाते हैं। वह मुझे मेला और चिड़ियाघर दिखाने भी ले जाते हैं। मेले में वह मुझे झूला ज़रूर झुलाते है और खिलौने तथा गुब्बारे भी दिलाते हैं।
इसके अलावा दादाजी भी मुझे बहुत प्यार करते हैं। वह प्रतिदिन मुझे स्कूल से घर लेने आते हैं और रास्ते में मुझे कोई न कोई खाने की चीज अवश्य दिलाते हैं। घर में में दादाजी के साथ लूडो और शतरंज खेलता हैं। जब मैं बीमार पड़ जाता हूँ, तो घर में सभी सदस्य बहुत परेशान हो जाते हैं। इस प्रकार मेरा परिवार बहुत ही अच्छा परिवार है। मैं अपने परिवार को बहुत प्यार करता हूं। मेरा परिवार चाहता है कि मैं बहुत बड़ा आदमी बनूँ। मेरा परिवार दुनिया का सबसे प्यारा परिवार है।
निबंध नंबर :- 02
मेरा परिवार
Mera Parivar
चार सदस्यों का हमारा छोटा-सा परिवार है। मेरे और माता-पिता के अतिरिक्त इसमें मेरी एक बड़ी बहन भी सम्मिलित है। हम लाजपत नगर में एक किराये के मकान में रहते हैं। मेरे माता-पिता जल्दी ही एक फ्लैट खरीदने की योजना बना रहे हैं।
मेरी बहन और मैं एक ही विद्यालय में जाते हैं। वह सातवीं कक्षा में हैं। विद्यालय हमारे घर के निकट ही है। हम सुबह पैदल ही विद्यालय जाते हैं।
दोपहर को वह अपनी सहेलियों के साथ और मैं अपने मित्रों के साथ घर लौटते हैं.
मेरे पिता कनॉट प्लेस में एक बैंक में कार्यरत हैं और प्रतिदिन बस द्वारा अपने बैंक जाते हैं। वह बहुत हँसमुख इन्सान हैं। हम घर पर भी बहुत मज़ाक करते रहते हैं। वह चुटकुलों द्वारा हमारा मनोरंजन करते हैं जो सदैव नये एवं रुचिकर होते हैं। लेकिन टी.वी. पर क्रिकेट का मैच देखते समय उन्हें किसी तरह की अशान्ति पसन्द नहीं है।
दूसरी ओर मेरी माँ एक अनुशासन प्रिय महिला हैं। वह एक समाज सेविका हैं और गरीब महिलाओं के लिये काम करने वाली एक संस्था के साथ जुड़ी हैं। वह उन महिलाओं में बहुत लोकप्रिय हैं। माँ को बच्चे बहुत पसन्द हैं।
मेरे माता-पिता स्नेही और दयालु हैं। साथ ही वे अति नियमनिष्ठ भी हैं। वे हमारी सभी जरूरी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।