Hindi Essay, Paragraph on “Agra ki Sair”, “आगरा की सैर”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

आगरा की सैर

Agra ki Sair 

गर्मी की छुट्टियों में मैंने अपने मित्र राम और उनके चाचाजी के साथ आगरा की सैर की थी। हम दिल्ली के हज़रत निजामुद्दीन स्टेशन से टिकट लेकर ताज एक्सप्रेस में बैठे। ट्रेन सुबह 7 बजकर 15 मिनट पर स्टेशन से रवाना हो गई थी।

रविवार का दिन था। उस दिन ट्रेन में कम भीड़ थी। हमें बिना किसी प्रयास के बैठने के लिए बर्थ (सीट) मिल गई थी। राम के चाचाजी ने स्टेशन से ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ समाचार-पत्र और बच्चों की दो पस्तकें ‘नंदन’ और ‘चंपक’ खरीदीं। ट्रेन में बैठने के बाद चाचाजी अखबार पढ़ने लगे और राम ‘नंदन’ तथा मैं ‘चंपक’ पढ़ने लगा तभी ट्रेन भी चल पड़ी।

लगभग आधे घण्टे के बाद चाचाजी ने हमें बिस्कुट खाने के दिए। तभी ‘चाय-चाय’ करता हुआ चाय वाला आया, तो चाचाजी तीन चाय देने के लिए कहा। चाय पीने के बाद हम चलती हुई है। बाहर का नजारा देखने लगे। बाहर हरे-भरे खेत और पेड़-पौधे थे। के क्षितिज पर लगे वृक्ष हमें घूमते नज़र आ रहे थे। उन्हें देखने हमें नींद आ गई। फिर मथुरा स्टेशन आने पर हमारी नींद खुल गई पर विक्रेता ‘मथुरा के पेड़े’ और ‘आगरे का पेठा’ आवाज़ लगा रहे हो चाचाजी ने मथुरा के पेड़े खरीदे और हमको चार-चार पेडे दिए। बहुत स्वादिष्ट थे। फिर गाड़ी चल पड़ी और थोड़ी ही देर में आगरा का ‘राजा की मण्डी’ स्टेशन आ गया। वहाँ पर हम उतर गए। सामान का बैग चाचाजी ने अपने कंधे पर लटका रखा था। हमारे हाथों में केवल हमारी पानी की बोतलें थीं। वहाँ स्टेशन से बाहर आकर चाचाजी ने ताजमहल के लिए थ्री-व्हीलर किया।

थोड़ी ही देर में हम ताजमहल पहुँच गए। वहाँ पहुँचकर चाचाजी ने हमें बताया कि मुगल वंश के पाँचवें बादशाह शाहजहाँ ने ताजमहल, लालकिला और मयूर सिंहासन बनवाया था। ताजमहल संसार के सात आश्चर्यों में से एक है और सन् 1883 में यूनेस्को ने ताजमहल को वल्ड हैरीटेज की सूची में शामिल कर लिया था। ताजमहल जैसी कोई दूसरा इमारत विश्व में नहीं है। शाहजहाँ ने इसे अपनी बेगम मुमताज़ महल का यादगार में सन् 1648 में बनवाया था।

ताजमहल सफेद संगमरमर का बना हुआ है। उसकी सुंदरता को मैं देखता ही रह गया। इसके चारों कोनों में चार मीनारें बनी हुई हैं। ताजमहल के मुख्य द्वार पर पाक कुरान की आयतें उत्कीर्ण हैं। ताजमहल के अन्दर चार कब्र हैं-दो नीचे और दो ऊपर। नीचे की कब्रों को वास्तविक कब्र माना जाता है।  ताजमहल के पूर्व और पश्चिम में दो मस्जिदें हैं। शरद पूर्णिमा की रात को ताजमहल में मेला लगता है। उस दिन इसे देखने हज़ारों पर्यटक आते हैं। चंद्रमा के दूधिया प्रकाश में यह अत्यंत सुन्दर दिखता है।

चाचाजी ने बताया कि ताजमहल के निर्माण में 22 वर्ष और 50 लाख रूपये खर्च हुए थे। इसे बने हुए 350 वर्ष से अधिक हो गए हैं। यह यमुना नदी के किनारे दाहिनी ओर स्थित है। इसे ‘संगमरमर की स्वप्निल रचना’ भी कहा जाता है।

ताजमहल देखने के बाद हमने सन् 1565 में निर्मित लालकिला भी देखा। चूंकि ताजमहल और लालकिला देखकर हम थक गए थे इसलिए फतेहपुर सीकरी नहीं जा सके और वापस घर आ गए। आगरा से हम आगरे की मशहूर मिठाई पेठा भी साथ लाए।

आगरा की यह सैर मुझे सर्वदा स्मरण रहेगी।

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