Hindi Essay on “Vyayam ke Labh”, “व्यायाम के लाभ”, Hindi Essay for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

व्यायाम के लाभ

Vyayam ke Labh

निबंध नंबर :- 01

हमने बहुत बार सुना है कि पहला सुख है निरोगी शरीर। इसी की वजह से हम अन्य सभी सुखों का आनंद उठा सकते हैं। अपनी पढ़ाई पर ध्यान भी हम तभी दे सकते हैं जब हमारा शरीर स्वस्थ हो। व्यायाम शरीर को चुस्त और फुर्तीला रखने का उत्तम मार्ग है|

प्रात:काल की सैर, तैराकी, योगाभ्यास, खेल जैसे क्रिकेट, बेडमिंटन, कबड्डी इत्यादि यह सभी व्यायाम के साधन हैं। अपनी रुचि और इच्छा के अनुसार हम किसी भी व्यायाम का चयन कर सकते हैं। आवश्यक यह है कि व्यायाम नियमित रूप से किया जाए। जोश में एक दिन क्षमता से अधिक कर हम थक गए इसलिए चार दिन तक शरीर हिला न पाएँ, ऐसा नहीं होना चाहिए।

व्यायाम शरीर को सुडौल बनाकर, रक्त संचार बढ़ाता है। हमारे अंग स्फूर्ति और ताकत से परिपूर्ण हो जाते हैं। स्वस्थ शरीरवाला व्यक्ति सदा प्रसन्नचित्त भी रहता है।

कोई भी व्यायाम आरंभ करने से पहले कुछ सावधानियों का पालन करना आवश्यक है। व्यायाम करते समय यदि शरीर के किसी अंग में तनाव महसूस  हो तो तुरंत किसी चिकित्सक को दिखाना चाहिए। किसी कुशल व्यक्ति के निर्देशन में ही व्यायाम करना चाहिए।

 

निबंध नंबर :- 02

व्यायाम के लाभ

Vyayam ke Labh

भूमिका- स्वास्थ्य मानव का अमूल्य धन है। किसी ने ठीक ही कहा है कि- ‘पहला सुख नीरोगी काया’। इस संसार में सभी प्रकार के सख अच्छे शरीर द्वारा ही भोगे जा सकते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के अभाव में मानव जीवन अभिशाप बन जाता है। स्वस्थ्य मस्तिष्क का निवास स्वस्थ शरीर में सम्भव है। स्वस्थ शरीर रखने के लिए व्यायाम आवश्यक है। व्यायाम का अर्थ है कसरत करना। शरीर को चस्त, फर्तीला और स्वस्थ रखने में व्यायाम का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।

व्यायाम के प्रकार- वह कार्य जिससे शरीर सुदृढ़ होता है। जिससे बल मिलता है, उसे व्यायाम कहते हैं। स्पष्ट है कि व्यायाम का अर्थ उन शारीरिक क्रियाओं से है जिनके द्वारा शरीर निरोग रहता है, बल की वृद्धि होती है और मस्तिष्क संतुलित रहता है। व्यायाम का कोई एकरूप नहीं होता, अपितु शरीर के अनुसार ही व्यायाम करना उचित होता है। व्यायाम में आयु का विशेष ध्यान रखा जाता है। व्यायाम कई प्रकार के होते हैं- दण्ड बैठक करना, प्रातः भ्रमण, दौड़ना, रस्सी कूदना, योगासन करना आदि। व्यायाम का चुनाव करते समय व्यक्ति को अपनी आयु, क्षमता तथा शरीर को विशेषताओं का ध्यान में रखना चाहिए। हमें ऐसे व्यायाम नहीं करने चाहिएँ जिन्हें हमारा शरीर स्वीकार न करता हो। बड़ी आयु के लोगों को हल्के-फुल्के व्यायाम ही करने चाहिएँ। व्यायाम केवल पुरुषों के लिए ही नहीं होते हैं अपितु स्त्रियों के लिए भी विशेष प्रकार के व्यायाम उपयोगी होते हैं। केवल घर के काम करने से व्यायाम नहीं होता। किसान जो अपने खेतों में हल चलाता है तथा मजदूर हमेशा शारीरिक श्रम करता है, को भी व्यायाम की आवश्यकता होती है।

विद्यार्थी जीवन में व्यायाम का महत्त्व- विद्यार्थी जीवन में व्यायाम की नितांत आवश्यकता तथा उपयोगिता होती है। विद्यार्थी जीवन में ही शरीर की आधारशिला बनती है। यदि यह समय आलस्य में बीत गया तो सारी उमर शरीर में चुस्ती-फुर्ती नहीं आ सकती। प्रायः देखा गया है कि जो विद्यार्थी व्यायाम नहीं करते, उनका शरीर बेडौल हो जाता है और फूल जाता है, उनकी आँखें कमजोर हो जाती हैं। ऐसे विद्यार्थी थोड़ा-सा परिश्रम करने में ही थक जाते हैं, उन्हें नींद अधिक आती है। जिनके कारण वे आलसी बन जाते हैं। इसका दुष्प्रभाव इनकी पढ़ाई पर भी पहुंचता है।

व्यायाम करते समय कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य है। प्रात:काल की खुली वायु में व्यायाम करना सर्वोत्तम होता है। व्यायाम से पूर्व शौच आदि से निवृत हो लेना चाहिए। यदि सांयकाल को व्यायाम करना है तो पेट हल्का होना चाहिए। भोजन करने के बाद व्यायाम नहीं किया जाता। व्यायाम के तुरन्त बाद स्नानादि नहीं करना की सम्भावना अधिक होती है। चाहिए। योगासन आदि व्यायाम किसी प्रशिक्षक की देख-रेख में ही करने चाहिए। अन्यथा लाभ की अपेक्षा हानि

व्यायाम के लाभ- व्यायाम से शारीरिक शक्ति बढ़ती है, शरीर में रक्त का संचार होता है। शरीर फुर्तीला और चुस्त रहता है। मासपेशियाँ सुदृढ़ रहती हैं। पाचन शक्ति ठीक रहती है। आलस्य दर भागता है। शरीर में अनावश्यक चर्बी नहीं बढ़ती और शरीर गतिशील बना रहता है। व्यायाम करने वाले युवकों पर बढ़ापा आक्रमण नहीं करता तथा अधिक आयु में भी उनकी शारीरिक क्षमता बनी रहती है। व्यायाम करने से पसीना आता है तथा विभिन्न प्रकार के अनावश्यक पदार्थ जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं- पसीने के साथ बाहर निकल आते हैं। इस प्रकार शरीर स्वस्थ रहता है।

उपसंहार- व्यायाम की आदत बचपन से ही डालनी चाहिए। स्वस्थ जीवन ही आनन्द का स्रोत है। स्वस्थ व्यक्ति ही धनोपार्जन कर सकता है तथा सभी प्रकार के सुखों का भोग भी कर सकता है।

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  1. Ishika September 19, 2023

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