Hindi Essay on “Swatantrata Diwas – 15 August ”, “स्वतंत्रता दिवस : 15 अगस्त”, Hindi Nibandh for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

स्वतंत्रता दिवस : 15 अगस्त

Swatantrata Diwas – 15 August

 

निबंध नंबर :- 01 

जो भरा नहीं है भावों से बहती जिसमें रसधार नहीं।

वह हृदय नहीं, वह पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।

 

भूमिका- स्वतन्त्रता सभी के प्रिय है। इसीलिए तुलसीदास ने कहा है- “पराधीन सपने हूँ सुख नाही।” जब कोई राष्ट्र पराधीन हो जाता है, तो उसके निवासियों का जीवन भी अभिशाप बन जाता है। भारत जैसा महान राष्ट्र भी सैंकड़ो वर्षों तक अग्रेजों की गुलामी की जजीरों में जकड़ा रहा तथा आपसी फूट एवं वैमनस्य के कारण पराधनता के अभिशाप को सहता रहा (पहले मुसलमानों ने भारत पर राज्य किया वाद में अंग्रेजों ने इसे अपनी जजीरों में जकड़ लिया)हम अपने देश में रहते हुए भी परायों की तरह जीवन व्यतीत कर रहे थे। अत्याचारी अंग्रेजों ने हमें अपनी ही धरती, आकाश, नदियों, खेतों अपने ही सूर्य और चाँद से दूर कर दिया था।

स्वतन्त्रता का अर्थ- सन् 1857 में सबसे पहले आजादी की पहली लड़ाई लड़ी गई परन्तु अंग्रेजों की शक्ति तथा क्रांतिकारियों के साधनों की कमी के कारण यह सफल न हो सकी) हाँ, लक्ष्मीवाई, तात्या टोपे तथा नाना साहिब के बलिदान से जनता में जागृति अवश्य उत्पन्न हुई। तभी से देश भर में स्वतन्त्रता के लिए प्रयास होते रहे। बलिदान देने वालों में भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, सभाष चन्द्र बोस, उधम सिंह, पंजाब केसरी लाला लाजपतराय, महात्मा गांधी, पं० जवाहर लाल नेहरु के नाम प्रसिद्ध हैं ) दिन प्रतिदिन स्वतन्त्रता सग्राम तेज होता जा रहा था। ब्रिटिश सरकार ने भी अपना दमन चक्र तेज कर दिया था एवं स्वाधीनता के आन्दोलन को कुचलने का पूरा प्रयास किया, परन्तु गांधी जी के नेतृत्व में अन्तत: 15 अगस्त 1947 को उन्हें देश छोड़कर जाना पड़ा। पराधीनता की कालरात्रि समाप्त हो गई और भारत में सैंकड़ों वर्षों के बाद स्वाधीनता का सूर्य उदय हुआ। भारत की स्वतन्त्रता का सग्राम विश्व में अनूठा था। सत्य एवं अहिंसा द्वारा स्वतन्त्रता प्राप्त करने का यह पहला अवसर था। अंग्रेजों ने जाते-जाते इस पावन धरा का ‘भारत’ तथा ‘पाक’ के नाम से दो भागों में विभक्त कर दिया ।

स्वतन्त्रता दिवस पर चारों तरफ खुशी की लहर- स्वतन्त्रता प्राप्ति का समाचार सुनकर भारतवासी प्रसन्नता से झूम उठे। भारत के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक हर्ष की लहर दौड़ गई। 15 अगस्त की भोर भी क्या भोर थी। प्रत्येक गली संगीत से गूंज उठी। दिल्ली तो उस दिन नई नवेली दुल्हन बन गई थी। ठीक प्रात: आठ बजे स्वतन्त्रता संग्राम के महान सेनानी जवाहर लाल नेहरु ने लाल किले पर राष्ट्रीय झंडा फहराया। तभी से आज तक 15 अगस्त का दिन स्वतन्त्रता दिवस के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। इसदिन सभी कार्यालयों, स्कल, कालिजों आदि में अवकाश रहता है। देश के विभिन्न भागों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है तथा सरकारी भवनों पर रौशनी भी की जाती है। मुख्य कार्यक्रम देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित किया जाता है। दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले पर प्रधानमन्त्री की राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं तथा राष्ट्र को सम्बोधित करते हैं।

हमारा कर्त्तव्य- भारत स्वतन्त्र हो गया लेकिन अभी उसके सामने देश के निर्माण का काम शेष है। भारत को स्वतन्त्र हुए 64 साल हो चुके हैं लेकिन अभी भी शहीदों के सपनों को पूरा नहीं कर पाया है। प्रत्येक भारतीय का कर्त्तव्य है कि वहदेश की उन्नति तथा स्वतन्त्रता कायम रखने के लिए अपना पूरा सहयोग दें। युवकों को देश की रीढ़ की हड्डी समझ जाता है) प्रत्येक भारतीय को देश के गौरव के बनाए रखने के लिए तथा उसे सम्पन्न एवं शक्तिशाली बनाने में अपना योगदान देना चाहिए।

उपसंहार-यह दिन हमें प्रेरणा देता है कि हमें राष्ट्रीय एकता को बनाए रखना चाहिए तथा देशकी स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए कृत-संकल्प रहना चाहिए। हमें आपसी फूट, वैर तथा वैमनस्य से दूर रहना चाहिए जिसके कारण हम पराधीन हुए थे। इस दिन हमें यह प्रण लेना चाहिए कि जिन शहीदों ने अपने बलिदान देकर हमें आजादी का उपहार दिया। हम उन्हें कभी नहीं भूलेगें तथा कोई भी ऐसा काम नहीं करेगें जिससे फिर हमें कभी पराधीनता का मुँह देखना पड़े। हमें महात्मा गांधी के रामराज के सपनों को पूरा करने का संकल्प करना चाहिए|

 

निबंध नंबर :- 02

 

स्वतंत्रता दिवस – 15 अगस्त

Swatantra Diwas – 15 August 

भारत में जिस प्रकार सामाजिक और धार्मिक पर्व (त्योहार) धूमधाम से मनाए जाते हैं वैसे ही स्वतंत्रता दिवस भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। स्वतंत्रता दिवस एक राष्ट्रीय पर्व है, जो 15 अगस्त को बड़ी धमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसी दिन हमारा देश विदेशी दासता से मुक्त हुआ था और अंग्रेज देश के शासन की बागडोर हमारे हाथों में सौंपकर भारत छोड़कर अपने देश लौट गये थे। इसलिए हम सब इस दिन को ऐतिहासिक दिन के रूप में मनाते हैं।

स्वतंत्रता दिवस का हम सबके लिए बहुत महत्व है। क्योंकि देश को स्वतंत्र कराने के लिए हमारे देश के हज़ारों वीर जवानों ने अपने प्राणों की बलि दी है। अनेक नेताओं ने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए जेलों की यातनाएँ भोगी हैं। वे अंग्रेजों द्वारा दी गई यातनाओं से डिगे नहीं, बल्कि जी-जान से कोशिश में जुटे रहे। तब कड़ी मेहनत और बलिदानों के बाद हमारा देश स्वतंत्र हो सका।

स्वतंत्रता दिवस सभी स्तरों-राष्ट्रीय, प्रान्तीय और स्थानीय–पर बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर भारत की राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर पर झण्डा फहराते हैं और देश के नाम संदेश प्रसारित करते हैं। अन्य राज्यों की राजधानी में भी स्वतंत्रता दिवस बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। राज्यों के मुख्यमंत्री जनता को संबोधित करते हैं और प्रदेश की प्रगति की योजनाओं से जनता को अवगत कराते हैं। छोटे-बड़े सभी नगरों में इस अवसर पर अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, जिनमें ध्वजारोहण, राष्ट्रगान और उत्साहवर्धक भाषण प्रमुख हैं।

हमारे विद्यालय में भी स्वतंत्रता दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हम प्रात:काल 8 बजे विद्यालय के प्रांगण में एकत्रित हो जाते हैं। फिर प्रधानाचार्य और अन्य अध्यापक उपस्थित होते हैं। राष्ट्रगान के साथ उत्सव आरंभ होता है और प्रधानाचार्य तिरंगा झण्डा फहराते हैं। तत्पश्चात् एक-एक करके विद्यार्थी देशभक्ति के गीत गाते हैं, फिर अध्यापकगण और प्रधानाचार्य भाषण देते हैं और छात्रों को स्वतंत्रता दिवस का महत्व बताते हैं।

इस प्रकार स्वतंत्रता दिवस सभी स्थानों पर धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि इस दिन हम अंग्रेजों की गुलामी । की बेड़ियों से आजाद हुए थे। देश की स्वतंत्रता के लिए हमारे वीरों को । बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी, अतः हमें इसकी तन-मन-धन से रक्षा करनी चाहिए। और अवसर पड़ने पर भारत की एकता और अखण्डता के लिए अपना बलिदान देने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। अपने देश के लिए हम सबका यही परम कर्तव्य है।

निबंध नंबर :- 03

स्वतन्त्रता दिवस

15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजी राज से स्वतन्त्रता मिली। तब से इस दिन को हम स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाते हैं। यह दिन हमारे इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है।

स्वतन्त्रता हमें लम्बे और कठिन संघर्ष के बाद मिली थी। इसे पाने के लिये लाखों लोगों ने बलिदान दिया। कई देशभक्तों ने अपनी जान न्यौछावर कर दी।

प्रथम स्वतन्त्रता दिवस के दिन हमारे प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर अपना तिरंगा झंडा फहराया। तब से आज तक प्रति वर्ष यही इतिहास दोहराया जाता है।

यह दिन राष्ट्र के प्रत्येक राज्य और उसकी राजधानी में मनाया जाता है। राज्य के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री देश का झंडा फहराते हैं। पर मुख्य कार्यक्रम देश की राजधानी दिल्ली में लाल किले पर आयोजित होता है।

जहाँ तत्कालीन प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं और देश को सम्बोधित करते हैं।

लाल किले पर झण्डा फहराने के पश्चात् प्रधानमंत्री को ‘गार्ड ऑन ऑनर’ दिया जाता है और 21 तोपों की सलामी दी जाती है। सेना के विभिन्न बैंड राष्ट्रीय धुन बजाते हैं और राष्ट्र गीत गाते हैं। प्रधानमंत्री राष्ट्र को संदेश देते हैं।

15 अगस्त को राष्ट्रीय अवकाश रहता है। सभी बाजार, कार्यालय, स्कूल-कॉलेज इस दिन बन्द रहते हैं। हमारे देश को स्वतन्त्र कराने एवं हमें अंग्रेजों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिये सैकड़ों राष्ट्र प्रेमियों ने बलिदान दिये। इस दिन हम उन्हें याद करते हैं। अतः हमें अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा करनी चाहिये।

इस दिन कई विद्यालयों में भी राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। विद्यालय के प्रधानाध्यापक ध्वज फहराते हैं और विद्यार्थियों को संदेश देते हैं। देश भक्ति के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। सभी मुख्य सरकारी इमारतों पर रोशनी की जाती है और उन्हें सजाया जाता है।

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