Hindi Essay on “Rabindranath Tagore”, “रविंद्रनाथ टैगोर”, Hindi Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

रविंद्रनाथ टैगोर

Rabindranath Tagore

निबंध नंबर -: 01

8 मई 1861 में कोलकाता में जन्मे श्री टैगोर एक महान कवि, चित्रकार, नाटककार, गीतकार एवं स्वतंत्रता संग्राम में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध महर्षि देवेन्द्रनाथ के घर जन्में, वे चौदह बच्चों में सबसे छोटे थे। उनके परिवार को सरकार ने ‘ठाकुर’ की पदवी से सम्मानित किया था।

उनकी माता शारदादेवी उनके बचपन में ही सिधार गईं थीं। पिता के पास समय के अभाव से टैगोर बचपन से ही रौब के आदी नहीं थे। अपनी मर्मस्पर्शी कविताओं से वे इस कमी को बखूबी पूरा कर देते।

टैगोर ने धर्म, विज्ञान, संगीत, सामाजिक सुधार जैसे कई विषयों पर अपनी कलम चलाई।

उन्हें अपने साहित्यिक योगदान ‘गीतांजली’ के लिए 13 नवंबर 1913 में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

नोबेल पुरस्कार से मिली धनराशि से उन्होंने ‘शांतिनिकेतन’ या ‘विश्वभारती महाविद्यालय की स्थापना की। हमारा राष्ट्रीय गान ‘जन गन मन’ श्री रविंद्रनाथ टैगोर की ही रचना है।

निबंध नंबर -: 02

रबीन्द्रनाथ टैगोर

Rabindranath Tagore

रबीन्द्रनाथ टैगोर भारतवर्ष के एक महान् एवं विशिष्ट कवि थे। एक ऐसे साहित्यकार थे जिनके साहित्य और व्यक्तित्व में अपनी साम्यता के दर्शन होते हैं। रबीन्द्रनाथ टैगोर की एक अद्भुत विशेषता कि वे अपनी कल्पना को जीवन के किसी भी क्षेत्र से संबन्धित करते मूर्त रूप दे सकते थे।

वे एक विश्वविख्यात कवि होने के साथ-साथ एक महान साहित्यकार व दार्शनिक भी थे। उन्होंने बंगला साहित्य के माध्यम से भारतीय संस्कृति में नवचेतना फूंकने का काम किया। वे एशिया के प्रथम ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया था।

रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता के जोडासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ था। उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था। रबीन्द्रनाथ की प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल में हुई थी। उन्होंने लन्दन विश्वविद्यालय में कानून का अध्ययन किया परन्तु वर्ष 1880 में वे बिना डिग्री प्राप्त किए ही भारत वापस आ गए। तीन वर्ष पश्चात् अर्थात् वर्ष 1883 में उनका विवाह मृणालिनी देवी से हुआ।

रबीन्द्रनाथ टैगोर बचपन से ही कविता, छन्द और साहित्य में रूचि रखते थे। उन्होंने अपनी प्रथम कविता मात्र 8 वर्ष की अवस्था में लिखा।

जब वे सोलह वर्ष के थे तब उनकी एक लघुकथा प्रकाशित हुई थी। समय के साथ-साथ उनकी रचनाएँ और अधिक परिपक्व और सृजनात्मक होती गईं। वे ऐसे एकमात्र कवि हैं जिनकी रचनाएँ दो देशों में राष्ट्रगान के स्वरूप आज भी गाई जाती हैं। भारत का राष्ट्रीयगान “जन मन” और बांग्लादेश का राष्ट्रीयगान “आमार सोनार बाँग्ला” उन्हीं की रचनाएँ हैं। गीतांजलि, शिशु भोलानाथ, वनवाणी, परिशेष, नोवेवाली, क्षणिका, सषिका आदि उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।

बीन्द्रनाथ टैगोर प्रकृति से भी बहुत लगाव रखते थे। वे अपना अधिकांश समय प्रकृति के सानिध्य में बिताना पसंद करते थे और सदैव सोचा करते थे कि विद्यार्थियों को प्रकृति के सानिध्य में ही अध्ययन करना चाहिए। इसीलिए उन्होंने वर्ष 1901 में शांतिनिकेतन की स्थापना की। शांतिनिकेतन साहित्य, संगीत और कला की शिक्षा के क्षेत्र में सम्पूर्ण भारत में एक आदर्श विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है।

रबीन्द्रनाथ टैगोर हमारे देश के अनमोल रत्नों में से थे। उन्होंने हमारे देश का गौरव बढाया। उनकी रचनाएँ अनमोल और अद्वितीय हैं। उन्होंने लगभग 2,230 गीतों की रचना की और अपने संगीत से बांग्ला संस्कृति का उत्थान किया। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लिया। सर्वप्रथम उन्होंने ही गांधीजी को महात्मा कहकर पुकारा था। नेताजी सुभाषचन्द्र बास उनके कहने पर ही गांधीजी से मिले थे। जब 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड हआ तो उन्होंने उसकी घोर निंदा की और विरोध स्वरूप ‘सर’ का खिताब वायसराय को लौटा दिया। 7 अगस्त, 1941 को भारत को इस महान् विभूति का देहावसान हो गया।

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