Hindi Essay on “Nashakhori”, “नशाखोरी”, Hindi Nibandh, Anuched for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

नशाखोरी

Nashakhori

भूमिका- जीवन यात्रा के मार्ग में कभी हरे-भरे मैदान आते हैं और कहीं घने जंगल। कहीं दुर्गम पर्वत खड़े हात है तो कहीं ऊँची-ऊँची घाटियाँ। कभी नदियाँ और नाले मार्ग को रोकते हैं तो कहीं रेगिस्तान की तपती धरती पांवों को जला डालती है। जीवन सःख और दःख का मिश्रण है। असफलताओं से कभी-कभी जीवन इतना व्यथित हा जाता ह आर विफल मावन द:खों को भलाने के लिए गम का बोझ हल्का करने के लिए ऐसे मादक पदार्थों को लेना आरम्भ करता है।

नशा क्या है- वे पदार्थ जिनका सेवन करने से मनुष्य कुछ समय के लिए अपनी समृति खो देता है। उसे अच्छा-बुरा, उचित और अनुचित का ज्ञान नहीं रहता। उन्हें नशीले पदार्थ या नशा कहा जाता है। नशीले पदार्थों में केवल शराब ही नहीं मानी जाती है, अपितु त्तम्बाकु भी एक नशा है। इस श्रेणी में तम्बाकु, शराब, स्मैक, चरस, गांजा, भाँग, अफीम जैसे पदार्थ तो होते ही हैं। आज के युग में और भी भयावह नशीले पदार्थ उपलब्ध तो जाते हैं जिनका मनुष्य दास बन जाता है। ये पदार्थ मारफीन, हेरोइन तथा कोकीन आदि है जिनकी चपेट में आज विश्व की युवा पीढ़ी आई हुई है। वास्तव में किसी भी लत के अधीन हो जाना नशा ही है। जिस प्रकार जुआ खेलने वाले लोगों को भी लत लग जाती है और वे अपना सब कुछ हार कर ही चैन लेते हैं।

नशे की हानियाँ- नशे से उत्पन्न होने वाली हानियां, शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक धरातल पर अपना प्रभाव दिखाती है। नशीले पदार्थों में विशेष रूप से शराब है। आधुनिक समाज में बड़े और सभ्य कहे जाने वाले लोगों में शराब पीना तो उनके बड़प्पन काप्रतीक माना जाता है। शराब के बारे में एक बात प्रचलित है- पहले व्यक्ति शराब पीता है, फिर शराब को पीती है और अन्त में शराब व्यक्ति को ही पी जातीहै अर्थात उसे समाप्त कर देती है। आर्थिक रूप में शराबी इतना गिर जाता है कि अपनी महीने भर की कमाई को तो बोतल में बहाता ही है पत्नी के गहने तक बेचने के लिए उतारू हो जाता है। शराबी का अपना शरीर तो रोगी हो जाता है। वह समाज के लिए अभिशाप होता है। अनेक बार शराबी चोरी और बलात्कार जैसी घटनाओं के लिए ये दोषी पाए जाते हैं। आजकल के नशेड़ी अपना नशा पूरा करने के लिए राह जाती स्त्रियों की चेने खींचते हैं। आधुनिक युग में युवा पीढ़ी के सबसे प्रबलतम शत्रु हैं- मारफीन, कोकीन तथा हेरोइन। एक बार अगरकोई इसके शिकंजे में फंस जाता है तो वह निरन्तर इसमें धंसता चला जाता है और अन्ततः जीवन से हाथ धो बैठता है। पाश्चात्य दनियां में हिप्पियों का ऐसा संसार अपना अलग संसार होता है। वे नशे और धुएँ की दुनियां में वेपरवाह डूबे रहते हैं। इस प्रवृत्ति से अनेक युवक और युवत्तियों का जीवन नष्ट हुआ है। इससे व्यक्ति और परिवार ही नहीं, सम्पूर्ण समाज प्रभावित होता है। हत्या, आगजनी, लूट-पाट, बम विस्फोट आदि जैसे दुष्कर्मों को करने के लिए इन्हें उकसाते हैं। इससे राष्ट्र की एकता और शान्ति को ख़तरा उत्पन्न होता है।

नशाबन्दी अभियान- महात्मा गांधी जी ने कहा था कि “यदि मुझे घण्टे भर के लिए भारत का तानाशाह बना दिया जाए तो मैं पूरे देश की शराबकी दुकानों को बिना क्षति पूर्ति दिए ही बन्द कर दूँगा। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात नशाबन्दी अभियान का आरम्भ किया गया था। केवल लाइसेन्स प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को शराब आदि नशीले पदार्थों को बेचने की आज्ञा दी गई। सरकार आज शराब के ठेकों की नीलामी से करोड़ों रुपए प्राप्त करती है। इसके साथ अवैध और जहरीली शराब भी बिकती है। इस दिशा में केवल समाज सेवी संस्थाएँ ही महत्त्वपूर्ण परिवर्तन ला सकती हैं।

उपसंहार- राष्ट्र और जन का हित इसी में है कि सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर आन्दोलन चला कर इससे मुक्ति प्राप्तकर देश और परिवार की आर्थिक दशा सुधारी जा सकती है। देश की प्रगति के लिए नशाबन्दी आवश्यक है। आज की स्थिति तो यह है कि युवा पीढ़ी भी आकर्षित हो रही है।

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