Hindi Essay on “Mera Janamdin”, “मेरा जन्मदिन”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

मेरा जन्मदिन

Mera Janamdin

निबंध नंबर :- 01

कल 29 अप्रैल है। इस दिन मेरा जन्मदिन होता है। मैं छ: साल की हैं। अब कल मैं सात साल का हो जाऊँगा। मेरा जन्मदिन मुझे बहुत अच्छा लगता है यह ऐसा दिन होता है जो मुझे पूरे साल अच्छी तरह से याद रहता है। तथा अपने आने वाले जन्मदिन का मुझे बहुत इंतजार होता है। इस दिन मैं अपने सभी मित्रों तथा कक्षा में मेरे साथ पढ़ने वाले दोस्तों को भी बुलाता हूँ। मेरे दादाजी तथा दादीजी भी इस दिन हमारे घर मेरा जन्मदिन मनाते हैं।

मुझे अपना पिछला जन्म दिन याद है। इस दिन मैंने अपने सभी दोस्तों को निमंत्रित किया था। हमारे घर पर काफी लोग एकत्र हुए थे। वह सब मेरे लिए अच्छे-अच्छे उपहार लाए थे। उपहारों को खोलना मुझे बहुत अच्छा लगता है। मेरे चाचा जी ने तो मेरे जन्मदिन पर मुझे एक घड़ी तोहफे के रूप में दी थी जो मुझे पसन्द है तथा यह मेरे लिए उपयोगी भी है।

मैं अपने जन्मदिन पर केक काटता हूँ। सभी बच्चे मुझे जन्मदिन की मुबारकबाद देते हैं। मैंने पिछली बार भी केक काटकर सभी बच्चों में बाँटा  था। सबसे पहले मैंने अपने माताजी पिताजी को केक खिलाया। मैंने सभी बच्चों को मिठाई, बिस्कुट इत्यादि भी दिए। मेरे जन्मदिन वाले दिन मेरे सभी दोस्त मेरे घर में बहुत खुश थे। उसके बाद हम सभी ने इकट्ठे होकर खाना खाया। वह दिन मेरे लिए बहुत अच्छा था। इस दिन का मुझे हमेशा से इंतजार रहता है।

निबंध नंबर :- 02

मेरा जन्म दिन

Mera Janam Din

 

आज मेरा चौदहवां जन्म दिन है। मेरे पिता जी ने मुझे 2000 रु० दिए और कहा कि इसे मैं जैसे चाहूं खर्च कर सकता हूं। अपने अध्यापक की प्रेरणा से मैं इसे समाज सेवा में खर्च करना चाहता था। जन्म दिन से कुछ दिन पूर्व मैं अनाथ आश्रम गया। मैंने देखा कि सर्दियों के दिन हैं और बच्चे नगें पांव घूम रहे हैं। उनके पास पहनने को बूट नहीं हैं। जन्मदिन को मैं 5 किलो लड्डू लेकर वहाँ पहुंच गया। मेरे माता-पिता तथा मित्रजन बिना पछे मेरे साथ चल की पूर्ति करते हैं। समाचार पत्र का आरम्भ 13वीं शताब्दी से इटली में माना दिए। वे सब चकित थे कि मैं अपना जन्मदिन कहाँ मनाने जा रहा हूं। हम सब धीरे-धीरे समय आश्रम पर मैंने वहां जाकर देखा कि अनाथ आश्रम के बच्चे बड़े प्रसन्नचित नजर आ रहे थे। वहाँ पहुंच कर मेरी माता अपने हाथ से सब बच्चों को लड्डू बांटे और फिर उनको बूट पहनाए। बच्चों ने जन्म दिन मुबारक को का गीत ‘ शुरू कर दिया। एक नन्हें से बच्चे ने अपने हाथों से बना बधाई कार्ड मुझे भेंट किया। थोड़ी देर बाद मेरे अध् महोदय भी वहाँ पहुंच गए। उन्होंने ने बताया कि यह बच्चा सदा समाज सेवा करने के लिए तत्पर रहता है। यदि प्रकार की सेवा भाव सभी में उत्पन्न हो जाए तो भारत कभी पिछड़ा हुआ तथा निर्धन देश न रहेगा।

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