मेरा घर
Mera Ghar
Essay # 1
मेरा घर दिल्ली के बीचोंबीच गोल मार्किट में स्थित है। यह दो मंजिलों का सीधा-साधा निर्माण है। मैं अपने माता-पिता के साथ पहली मंजिल पर रहता हूँ। नीचे की मंजिल पर मेरे दादा जी और मेरे चाचा जी रहते हैं।
मेरा घर बहुत हवादार है और इसके कमरे बहुत बड़े-बड़े हैं। मेरे कमरे में मेरे माता-पिता जी ने कई कार्टून चित्र सजाए हैं।
मेरे घर की रसोई साफ़ और व्यवस्थित है। यहाँ आगे और पीले खेलने और साइकिल चलाने की बहुत जगह है। मेरे घर की छत पर सुंदर फूलों का बगीचा है। यहाँ एक झूला भी है। हम सभी बारिश में, मिलकर, छत पर चाय पकौड़े का आनंद उठाते हैं।
मुझे अपना घर सबसे प्यारा लगता है।
मेरा घर
My House
Essay # 2
मेरा घर छोटे आकार का है । यह बहुत बड़ा और सुविधाजनक नहीं है। फिर भी यह लिए बहुत प्यारा है । मेरा जन्म यहीं हुआ था और मैं यहीं पर पला-बढ़ा हूँ। मेरे साता-पिता ने इस घर को बड़े यत्न से बनाया और सँवारा है । मैं इसे किसी मंदिर से कम समानता । मेरे घर में दो कमरे हैं । साथ ही छोटा-सा रसोईघर, एक शौचालय और एक मान-घर भी है । मेरा घर साफ-सुथरा है । माँ घर की सफाई का पूरा ध्यान रखती हैं । मेरे घर में गृह-वाटिका के लिए कोई स्थान नहीं है । फिर भी कुछ गमले हैं जिनमें लगे पौधे सारे घर में हरियाली और सुन्दरता बढ़ाने का कार्य करते हैं। घर का अधिकतर काम-काज की माँ करती है। उनकी उपस्थिति घर की शोभा बढ़ाती है । घर आए मेहमान माँ के हाथ के पकवान खाकर तारीफ किए बिना नहीं रह सकते । मेरे घर के सदस्यों के बीच आपस में परा तालमेल है । मेरे घर में अभावों के बीच भी सुख और शांति की कोई कमी नहीं है।
शब्द–भडार
यत्न= कोशिश, प्रयत्न । उपस्थिति = मौजूदगी, हाजिर होना । गृह-वाटिका = घर का बगीचा । तारीफ = प्रशंसा । मेहमान = अतिथि। तालमेल = संगति, मेल ।
This essay is very short and easy, thanks a lot.