Hindi Essay on “Matdan Kendra ka Drishya”, “मतदान केन्द्र का दृश्य”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

मतदान केन्द्र का दृश्य

Matdan Kendra ka Drishya

प्रजातन्त्र में चुनाव अपना विशेष महत्त्व रखते हैं । गत 22 फरवरी को हमारे कस्बे में नवाँशहर विधानसभा क्षेत्र के लिए उप-चुनाव हुआ । चुनाव से कोई महीना भर पहले विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा बड़े जोर-शोर से चुनाव प्रचार किया गया । धन और शराब का खुलकर वितरण किया गया । पंजाब में एक कहावत प्रसिद्ध है कि चुनाव के दिनों में यहाँ नोटों की वर्षा की जाती है और शराब की नदियाँ बहती हैं । चुनाव आयोग ने लाख सिर पटका पर ढाक के तीन पात ही रहे । आज मतदान का दिन है । मतदान से एक दिन पूर्व ही मतदान केंद्रों की स्थापना की गई है । मतदान वाले दिन जनता में भारी उत्साह देखा गया । इस बार पंजाब में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक मशीनों का प्रयोग किया जा रहा था । अब मतदाताओं को मतदान केन्द्र पर मत-पत्र नहीं दिये जाने थे और न ही उन्हें अपने मेत मतपेटियों में डालने थे । अब तो मतदाताओं को अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम और चुनाव चिह्न के आगे लगे बटन को दबाना भर था । इस नए प्रयोग के कारण भी मतदाताओं में काफी उत्साह देखने में आया । मतदान प्रात: आठ बजे शुरू होना था किन्तु मतदान केंद्रों के बाहर विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने-अपने पंडाल समय से काफी पहले सजा लिये । उन पंडालों में उन्होंने अपनी-अपनी पार्टी के झंडे एवं उम्मीदवार के चित्र भी लगा रखे थे । दो तीन मेजें भी पंडाल में लगाई गई थीं जिन पर उम्मीदवार के कार्यकर्ता मतदान सूचियाँ लेकर बैठे थे और मतदाताओं को मतदाता सूची में से उनकी क्रम संख्या तथा मतदान केन्द्र की संख्या तथा मतदान केन्द्र का नाम लिखकर एक पर्ची दे रहे थे । आठ बजने से पूर्व ही मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की लंबी-लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई थीं । मतदाता विशेषकर स्त्री मतदाता खूब सज-धज कर आए थे । ऐसा लगता था कि वे किसी मेले में आए हों । दोपहर होते-होते मतदाताओं की भीड़ में कमी आने लगी । राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता मतदाताओं को घेर-घेर कर ला रहे थे । हालांकि चुनाव आयोग ने मतदाताओं को किसी प्रकार के वाहन में लाने की मनाही की है किंतु सभी उम्मीदवार अपने-अपने मतदाताओं को रिक्शा, जीप या कार में बिठा कर ला रहे। थे । सायं चार बजते-बजते यह मेला उजड़ने लगा । भीड़ मतदान केंद्र से हट कर उम्मीदवारों के पंडालों में जमा हो गयी थी और सभी अपने-अपने उम्मीदवार की जीत के अनुमान लगाने में मस्त थे ।

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