Hindi Essay on “Library ki Atmakatha”, “पुस्तकालय की आत्मकथा”, Hindi Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

पुस्तकालय की आत्मकथा

Library ki Atmakatha

मैं पुस्तकों का घर, पुस्तकालय हूँ। विज्ञान, भूगोल, हिंदी, अंग्रेजी, गणित, कहानियों और चित्रों इत्यादि की पुस्तकों का संग्रह हूँ। मैं एक प्रसिद्ध विद्यालय के प्राइमरी विंग में स्थित हैं। पहली मंजिल पर एक बड़े से कक्ष में पुस्तकों की तीस अलमारियों सहित मैं खुले मन से छात्रों का स्वागत करता हूँ।

छात्र यह बात जानते हैं कि मैं शांति व अनुशासन प्रिय स्थान हूँ। अत: वे सदा मेरा आदर करते हैं। पुस्तकों का उपयोग करने के बाद उन्हें यथास्थान लगा कर जाते हैं। धामी चाल से कुरसियों का शोर न करते हुए वे मेरा हृदय प्रफुल्लित कर देते हैं।

सभी छात्रों के पास दो-दो कार्ड हैं। एक लाल रंग का है जिससे पुस्तकें एक ही दिन के लिए घर ले जा सकते हैं। दूसरा हरा कार्ड है जिसपर कोई एक पुस्तक सप्ताहभर के लिए घर ले जा सकते हैं।

पाँचवी डी के छात्रों से मुझे अपनी व्यवस्था का सदा भय रहता है। यह छात्र पुस्तकों के पृष्ठ फाड़ने और पुस्तकें गुमाने के लिए कुख्यात हैं। कुरसियों और फुसफुसाने की आवाज़ इनके आगमन की सूचक होती है। इनके आते ही अध्यक्ष महोदय स्वयं निरीक्षण करने लगते हैं।

समझदार और अनुशासित छात्र ही पुस्तकें सुव्यवस्थित रख और यथासमय लौटाकर मेरा मान रख सकते हैं।

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