Hindi Essay on “Lal Bahadur Shastri”, “श्री लाल बहादुर शास्त्री”, Hindi Nibandh, Anuched for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

श्री लाल बहादुर शास्त्री

Lal Bahadur Shastri

निबंध नंबर :- 01

भूमिका- यदि कोई निर्धन परिवार में जन्म लेकर अपनी आस्था, परिश्रम, बुद्धिमता तथा इमानदारी से कोई व्यक्ति श्रेष्ठ, उच्च और गौरवमय पद को पाता है तो वह व्यक्ति निश्चय ही प्रशंसा और पूजने के योग्य होता है। हमारे इतिहास में श्री लाल बहादुर शास्त्री ऐसे ही महान् पुरुष हुए हैं। निर्धनता में पले और कांटों भरे राह पर चलते। हुए भी दूसरों को सुगन्ध देते रहे हैं। कद के छोटे, दुबले, पतले सौम्य और साधु स्वभावके महापुरुष शास्त्री जी इरादे के पक्के और आस्था से भरपूर थे। अपनी मेहनत, इमानदारी से वे भारत के प्रधानमन्त्री बने। थोड़े समय में ही वे भारत के लोकप्रिय प्रधानमन्त्री बन गए थे।

जीवन परिचय- इनका जन्म मुगलसराय नाम के गाँव में अक्तूबर, 1904 को हुआ। इनके पिता का नाम श्री। शारदा प्रसाद और माता का नाम श्रीमति राम दुलारी था। पिता जी किसी प्राईमरी स्कूल में अध्यापक थे जिनका वेतन बहुत कम था। 11 वर्ष की आयु में पिता का साया सिर से उठ गया। परिवार वाले इन्हें नन्हा कहकर पुकारते थे। वह हरिश्चन्द्र हाई स्कूल में जब पढ़ा करते थे तो गंगा पार उन्हें तैर कर जाना पड़ता था। उन्हीं दिनों महात्मा गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन चलाया और भाषण में कहा कि नवयुवकों की आवश्यकता है तो शास्त्री जी ने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी और आन्दोलन में जा मिले। आन्दोलनकारियों के साथ अढ़ाई वष तक जेल में रहे। रिहा होने बाद काशी विद्यापीठ में दाखिल हो वर्ष गए। वहाँ से उन्होंने शास्त्री की परीक्षा पास की। शास्त्री जी का विवाह सन् 1928 में ललिता देवी से हुआ। आपकी छः सन्ताने हैं। ।

राजनीतिक जीवन- 1930 से 1936 तक आप इलाहाबाद नगरपालिका के प्रधान रहे। वहीं से आपका राजनीतिक जीवन शुरू होता है। 1936 से 1939 तक आप कांग्रेस के मन्त्री रहे। 1939 में आप उत्तर प्रदेश की विधानसभा में निर्वाचित हुए। 1942 में जेल गए। आप लगभग नौ वर्ष तक जेल में रहे। 1946 से 1951 तक आप उत्तर प्रदेश के परिवहन मन्त्री का पद सम्भाला। 1952 में आप केन्द्रीय सरकार में आ गए। आप रेल मन्त्री भी रहे। 1956 की रेल दुर्घटना से हताश होकर आपने त्याग पत्र दे दिया। 1957 के चनाव में आप फिर चुने गए। पहले आप संचार मन्त्री के रूप में और बाद में वाणिज्य मन्त्री के रूप में काम किया। श्री गोबिन्द वल्लभ पन्त की मृत्यु के बाद आप गृहमन्त्री बने। 27 मई, 1964 को प्रधान मन्त्री नेहरु की मृत्यु के पश्चात यह प्रश्न जनता के सामने आया कि नेहरु के बाद कौन देश का प्रधान मन्त्री होगा।

प्रधान मन्त्री के रूप में- 9 जून, 1964 को लाल बहादुर (शास्त्री) प्रधान मन्त्री बने। देश की अनेक समस्याओं को अपनी सूझ-बूझ से हल किया। पाकिस्तान के आक्रमण का मुँह तोड़ जवाब दिया। चीन के कड़े षड्यन्त्रों का कड़ाई से उत्तर दिया। किसी आलोचक ने ठीक ही लिखा है कि जो कार्य नेहरु जी अठारह वर्ष न कर। पाए, शास्त्री जी ने वह अठारह महीनों में कर दिखाया। रूस के प्रधान मन्त्री फोसीमन के अनरोध पर पाकिस्तान से समझोता करने के लिए आप जनवरी 1966 को ताशकन्द गए। ताशकन्द का समझौता हो गया। दोनों नेताओं ने हस्ताक्षर कर दिए। दोनों प्रधान मन्त्री गले मिले। 11 जनवरी, 1966 को तड़के 12 बज कर 55 मिन्ट पर शास्त्री की हृदय गति बन्द हो गई।

व्यक्तित्व और आदर्श- शास्त्री जी का व्यक्तित्व अतयन्त सशक्त और सबल था। अंग्रेज अलोचक के अनसार, “शास्त्री जी का हृदय सिल्क के समान कोमल और लोहे के समान कठोर था’। शास्त्री जी ने जिन पदों पर काम किया, पूरी ईमानदारी से काम किया और अपने पद का दुप्रयोग नहीं किया। वह निर्धन परिवार में जन्मे और निर्धनों की आवाज दु:ख को पहचाना। वे विनम्र स्वभाव के थे। देश से सच्चा प्रेम करते थे। निर्धनता में जीवन बिताया प घबराए नहीं। माता का पूरा सम्मान करते थे। ।

उपसंहार- प्रधान मन्त्री के पद पर रहते हुए भी उन्होंने न तो परिवार का पोषण किया और न ही धन एकत्रित किया। कहा जाता है कि उनके पास अपना रहने के लिए मकान और कार तक न था। शास्त्री जी ने केवल अठारह महीने तक प्रधान मन्त्री के रूप में काम किया पर अपने महान् कार्यों और ईमानदारी के कारण देश-विदेश में विख्यात | हो गए। उनका जीवन तथा रहन-सहन अत्यन्त सादगीपूर्ण था। उन्हें किसी प्रकार का कोई लालच न था। वास्तव में वे भारत माँ के साहसी लाल थे। उनका नाम भारतीय इतिहास में स्वर्ण अंकों में लिखा गया है।

 

निबंध नंबर :- 02

 

लाल बहादुर शास्त्री

Lal Bahadur Shashtri 

भारत के इस गौरवशाली प्रधानमंत्री का जन्म 2 अक्तूबर, 1904 ई० को मुगलसराय में हुआ था। बालक लाल बहादुर अभी डेढ़ वर्ष का भी नहीं हुआ था कि उसके पिताजी का स्वर्गवास हो गया। फिर उनका तथा उनकी दो अन्य बड़ी बहनों के पालन-पोषण का भार माता रामदुलारी पर आ पड़ा।

लाल बहादुर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने नाना के घर रहकर प्राप्त की। उनकी मिडिल कक्षा की पढ़ाई काशी में मौसाजी के पास रहकर हुई। वहाँ वे 15 किलोमीटर पैदल चलकर पढ़ने जाते थे। एक बार तो पैसों के अभाव में उन्हें स्वयं तैरकर नदी पार करनी पड़ी।

सन् 1920 में गाँधीजी ने असहयोग आदोलन छेड़ दिया। इसने शास्त्री जी की आत्मा को झकझोर कर रख दिया। उस समय उनकी आय 16 साल थी। वे घर की चिंता छोड़कर असहयोग आंदोलन में कूद पड़े। असहयोग आंदोलन के बंद होने पर उन्होंने काशी विद्यापीठ से 1925 ई० में शास्त्री की उपाधि प्राप्त की। फिर 1927 में ललिता देवी से उनका विवाह हो गया।

जब देश स्वतंत्र हुआ तो 1952 में पं. जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में उन्हें रेलमंत्री बनाया गया। 1957 में वे गृहमंत्री बने। 27 मई, 1961 को जब नेहरू जी का देहांत हो गया, तो देश के राजनीतिक नेताओं ने शास्त्री जी को उनका उत्तराधिकारी चुन लिया। 6 जून, 1964 को शास्त्री जी भारत के प्रधानमंत्री बने।

उस समय देश की स्थिति अच्छी नहीं थी। 1962 के चीनी आक्रमण ने भारत की प्रतिष्ठा को बहुत ठेस पहुँचाई थी। देश अन्न संकट से गजर रहा था। फिर 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया। तब शास्त्री जी ने अपने दुर्बल से शरीर में छिपी आंतरिक शक्ति का सबको परिचय दिया और मात्र तीन सप्ताह की लड़ाई में ही पाकिस्तान का घमण्ड चूर-चूर कर दिया। हमारी सेनाएँ आक्रमणकारियों को खदेड़ती हुई लाहौर तक जा पहुँची। भारत की इस शानदार सफलता से विश्व आश्चर्यचकित रह गया।

फिर जनवरी, 1966 में ताशकंद में शास्त्री जी और सोवियत रूस के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री कोसीगिन ने एक संधि पर हस्ताक्षर किए। संधि पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही घंटों बाद हृदय गति रुक जाने से उनका निधन हो गया।

इस समाचार से पूरा भारत शोकाकुल हो गया। फिर उनका शव भारत लाया गया और ‘विजयघाट’ पर उनकी समाधि बनाई गई। ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा उन्होंने ही लगाया था। वे सदा जनता को अपने साथ लेकर चलते थे। शास्त्री जी देश-प्रेम को सबसे ऊँचा समझते थे। ‘शांति के पुजारी’ और युद्ध के विजेता’ के रूप में उनका नाम भारत के इतिहास में सदैव स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा।

निबंध नंबर :- 03

लाल बहादुर शास्त्री

Lal Bahadur Shashtri

 

भारत के इस गौरवशाली प्रधानमंत्री का जन्म 2 अक्तूबर, 1904 ई० को मुगलसराय में हुआ था। बालक लाल बहादुर अभी डेढ़ वर्ष का भी नहीं हुआ था कि उसके पिताजी का स्वर्गवास हो गया। फिर उनका तथा उनकी दो अन्य बड़ी बहनों के पालन-पोषण का भार माता रामदुलारी पर आ पड़ा।

लाल बहादुर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने नाना के घर रहकर प्राप्त की। उनकी मिडिल कक्षा की पढ़ाई काशी में मौसाजी के पास रहकर हुई। वहाँ वे 15 किलोमीटर पैदल चलकर पढ़ने जाते थे। एक बार तो पैसों के अभाव में उन्हें स्वयं तैरकर नदी पार करनी पड़ी।

सन् 1920 में गाँधीजी ने असहयोग आदोलन छेड़ दिया। इसने शास्त्री जी की आत्मा को झकझोर कर रख दिया। उस समय उनकी आय 16 साल थी। वे घर की चिंता छोड़कर असहयोग आंदोलन में कूद पड़े। असहयोग आंदोलन के बंद होने पर उन्होंने काशी विद्यापीठ से 1925 ई० में शास्त्री की उपाधि प्राप्त की। फिर 1927 में ललिता देवी से उनका विवाह हो गया।

जब देश स्वतंत्र हुआ तो 1952 में पं. जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में उन्हें रेलमंत्री बनाया गया। 1957 में वे गृहमंत्री बने। 27 मई, 1961 को जब नेहरू जी का देहांत हो गया, तो देश के राजनीतिक नेताओं ने शास्त्री जी को उनका उत्तराधिकारी चुन लिया। 6 जून, 1964 को शास्त्री जी भारत के प्रधानमंत्री बने।

उस समय देश की स्थिति अच्छी नहीं थी। 1962 के चीनी आक्रमण ने भारत की प्रतिष्ठा को बहुत ठेस पहुँचाई थी। देश अन्न संकट से गजर रहा था। फिर 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया। तब शास्त्री जी ने अपने दुर्बल से शरीर में छिपी आंतरिक शक्ति का सबको परिचय दिया और मात्र तीन सप्ताह की लड़ाई में ही पाकिस्तान का घमण्ड चूर-चूर कर दिया। हमारी सेनाएँ आक्रमणकारियों को खदेड़ती हुई लाहौर तक जा पहुँची। भारत की इस शानदार सफलता से विश्व आश्चर्यचकित रह गया।

फिर जनवरी, 1966 में ताशकंद में शास्त्री जी और सोवियत रूस के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री कोसीगिन ने एक संधि पर हस्ताक्षर किए। संधि पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही घंटों बाद हृदय गति रुक जाने से उनका निधन हो गया।

इस समाचार से पूरा भारत शोकाकुल हो गया। फिर उनका शव भारत लाया गया और ‘विजयघाट’ पर उनकी समाधि बनाई गई। ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा उन्होंने ही लगाया था। वे सदा जनता को अपने साथ लेकर चलते थे। शास्त्री जी देश-प्रेम को सबसे ऊँचा समझते थे। ‘शांति के पुजारी’ और युद्ध के विजेता’ के रूप में उनका नाम भारत के इतिहास में सदैव स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा।

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