Hindi Essay on “Jeevan me Sangharsh ”, “जीवन में संघर्ष”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

जीवन में संघर्ष

Jeevan me Sangharsh 

सकर्स में पशु-पक्षियों के सम्बन्ध में बहुत कुछ सुन रखा था। उसे देखने की बड़ी तीव्र उत्सुकता थी। एक दिन ‘ऐसा अवसर मिल गया कि हमारे नगर में ही सर्कस कम्पनी आ गई। सर्कस में स्त्री-पुरुष, पशु-पक्षी अद्भुत और साहसपूर्ण करतव दिखा कर हमारा मनोरंजन करते हैं। लोगों को सर्कस शो की जानकारी देने के लिए आसपास के गाँवों व कस्बों में पोस्टर लगवाए गए। लाऊड स्पीकर से भी सूचना दी गई। सर्कस के शो का प्रबन्ध एक खुले मैदान में किया गया। प्रवेश द्वार को खूब सजाया गया था। एक दिन में सर्कस के केवल दो शो होते थे। मैंने अपने मित्रों के साथ सर्कस का शो देखने का निश्चय किया। हम सभी मित्र पांच बजे के शो में गए। मेरे एक मित्र ने सभी मित्रों के लिए टिकटें खरीद ली थीं। हम शो आरम्भ होने से 10 मिन्ट पहले ही अपनी सीटों पर जा बैठे। बैठते ही हमने (देखा कि एक जोकर अपनी अद्भुत हरकतों से लोगों का मनोरंजन कर रहा था। थोड़ी ही देर में हाथी, ऊँटों, घोड़ों ने अपने अद्भुत खेल दिखाए। तभी वहाँ एक युवक ने लम्बी छलांग लगाई। शेर और आग का दृश्य भी मन को मोह रहा था। छोटे-छोटे बच्चे तो जोकरों के कारनामों को देखकर लोट-पोट हो रहे थे। मौत का कुँआ सबके लिए आर्कषण का केन्द्र था। युवतियों का रस्सी पर नाचना भी बड़ा अजीव लगता था। हाथी फुटबाल से खेल रहा था। सर्कस का क्षेत्र अपने आप में एक छोटे से गाँव जैसा प्रतीत होता था। सर्कस को देखने के लिए बच्चे, बूढ़े, जवान, स्त्री-पुरुष सभी वर्ग के लोग आए हुए थे। मैंने अपने मित्रों के साथ वह चार घण्टे बताए। अन्त में मौत के कुएं का खेल देखकर हम सर्कस से बाहर आ गए। यह खेल हम सभी को बड़ा अच्छा लगा। मैं सर्कस के उस शो को अभी तक नहीं भूला हूं।

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