Hindi Essay on “Holi”, “होली”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

होली

Holi

भारत में होली का त्योहार सर्वत्र मनाया जाता है। यह वसंत ऋतु का पर्व है। इसलिए इसे वसंतोत्सव भी कहते हैं। वसंत ऋतु के आगमन से प्रकृति की शोभा दर्शनीय हो जाती है। रंग-बिरंगे फल खिल जाते हैं। पेडों में नवीन पल्लव निक आते हैं। फूलों पर भौरों का गुंजन सुनाई पड़ता है। वसंती हवा के स्पर्श से तन-मन में ताजगी आ जाती है।

होली के साथ एक प्राचीन कथा। का संबंध है। पुराने जमाने में दैत्यों का राजा हिरण्यकश्यप बड़ा अत्याचारी और नास्तिक था। वह अपने को ईश्वर से बड़ा समझता था। उसका पुत्र प्रह्लाद ईश्वर- भक्त था। प्रह्लाद ईश्वर का नाम लेना छोड़ दे, इसके लिए हिरण्यकश्यप ने अनेक उपाय किये, लेकिन प्रह्लाद की ईश्वर- भक्ति में कोई अंतर नहीं आया। अंत में हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मार डालने का एक उपाय सोचा। उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में प्रेवश करने का आदेश दिया। होलिका को वरदान प्राप्त था कि आग में वह नहीं जलेगी। होलिका ने आदेश का पालन किया। किंतु प्रह्लाद का बाल भी बांका न हुआ। होलिका जलकर राख हो गयी। तभी से प्रतिवर्ष होलिका-दहन का प्रचलन है।

होली रंगों का त्योहार है। होली के दिन लोग एक-दूसरे के साथ रंग खेलते हैं। चेहरों पर गुलाल पोता जाता है। होली के गीत गाये जाते हैं। लोग परस्पर गले मिलते हैं। घर-घर स्वादिष्ट भोजन और नाना प्रकार के पकवान तैयार किये जाते हैं। लोग अपने मित्रों और संबंधियों को खिलाते हैं। जन-जन के मानस में आनंद का समा बंध जाता है। सर्वत्र मस्ती का आलम रहता है।

कुछ लोग इस अवसर पर अश्लील गीत गाकर समाज को कलंकित करते हैं। वे कीचड़ तथा गंदी चीजें दूसरों पर डालते हैं। ऐसी परिस्थिति में कभी-कभी मारपीट की। नौबत आ जाती है। यह बुरी बात है। खुशी के त्योहार में अंत तक प्रसन्नता ही रहना चाहिए। यह उमंग और उल्लास का पर्व है। इसका आयोजन पवित्र भावना से होना चाहिए।

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