Hindi Essay on “Hari Vallabh Sangeet Mela – Jallandhar ”, “हरि वल्लभ संगीत मेला- जालंधर”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

हरि वल्लभ संगीत मेलाजालंधर

Hari Vallabh Sangeet Mela – Jallandhar 

 

जालंधर शहर में प्रत्येक वर्ष लगने वाले हरि वल्लभ संगीत मेले ने इस शहर की एक विलक्षण पहचान बना दी है। यह संगीत मेला क्रिसमस सप्ताह के दौरान संत-संगीतज्ञ स्वामी हरिवल्लभ की याद में उनकी समाधि के समीप देवी तालाब, जालंधर में हर वर्ष मनाया जाता है। यह एक प्रकार का महान संगीत सम्मेलन होता है। जिसमें भारतवर्ष के कोने-कोने से सुप्रसिद्ध गायक, संगीतकार और श्रोतागण आते हैं।

स्वामी हरिवल्लभ ने अपने गुरु स्वामी तुलजा गिरि की बरसी के अवसर पर यह संगीत सम्मेलन 1875 में आरंभ किया था। और प्रत्येक वर्ष 27 दिसम्बर से लेकर 30 दिसम्बर तक आयोजित किया जाता है। यह कहा जाता है कि स्वामी हरिवल्लभ होशियारपुर जिले के गांव बजवाड़ा के एक धनाढ्य कल में जन्मे थे पर उन्होंने सांसारिक सुखों को त्याग करके स्वामी तुलजा गिरि को अपना गुरु बना लिया। जिन्होंने उन्हें संगीत कला में प्रवीण बनाया। इस क्षेत्र में ‘ध्रुवपद” उनका शिखर बिंदु था। कई संगीत प्रेमी उनके शिष्य बन गए, जिनमें एक पंडित तोलो राम भी था।पंडित तोलो राम ने अपने गुरु की स्मृति में अन्य मित्र संगीत प्रेमियों के साथ मिलकर हरिवल्लभ संगीत महासभा की स्थापना की जिसे कपूरथला और कश्मीर के कुछ राजघरानों तथा जालंधर के कुछ धनी लोगों ने वित्तीय सहायता प्रदान की। इस प्रकार इस महासभा के तत्वावधान में प्रत्येक वर्ष यहां पर शास्त्रीय संगीत सम्मेलन में भारत के उच्चकोटि के लगभग सभी संगीतकार सम्मिलित होते हैं, जो न तो कोई पारिश्रमिक मांगते थे तथा न ही आने-जाने के लिए यात्रा-खर्च। पंडित विष्णु दिगम्बर जी के महासभा में शामिल हो जाने से इसकी शोभा में चार चांद लग गएसन् 1929 में महात्मा गांधी भी इस सम्मेलन को देखने के लिए औपचारिक तौर से आए थे।

भारतीय शास्त्रीय संगीत की आत्मा को सजीव रखने के लिए यह सम्मेलन अपने आप में एक ज्वलंत उदाहरण है।

वर्ष 1989 में यह मेला 21 दिसम्बर से 23 दिसम्बर तक “उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला” के प्रयत्नों द्वारा लग सकागत वर्षों की भांति भारत के सुप्रसिद्ध संगीतकारों ने इसमें भाग लिया। जिनमें पंडित जसराज, सरोदवादक उस्ताद अमजद अली खां साहिब, विश्वविख्यात तबलावादक उस्ताद जाकिर हुसैन खां (सुपुत्र श्री अल्लारक्खा खां साहिब), गायिका किशोरी अमोनकर, बांसुरीवादक श्री हरिप्रसाद चौरसिया, सिंह बंधु, बनारस से राजन-साजन मिश्र बंधु आदि प्रमुख हैं।  और तागणों को अपनी-अपनी कला-प्रस्तुति द्वारा मंत्रमुग्ध कर दिया।

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