Hindi Essay on “Guru Nanak Dev Ji”, “गुरु नानक देव जी”, Hindi Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

गुरु नानक देव जी

Guru Nanak Dev Ji

15 अप्रैल 1469 में तलवंडी में जन्मे गुरु नानक देव जी सिक्ख धर्म के संस्थापक थे। उनके जन्म के समय पंडितों की यह भविष्यवाणी थी कि उनकी रुचि धर्म मार्ग में रहेगी और वे हिंदू-मुसलमान दोनों से समान आदर पाएँगे।  

गुरु नानक देव जी की धर्नाजन में कभी रुचि नहीं थी। एक समय बीस रुपए देकर, व्यापार हेतु उनके पिता जी ने उन्हें लाहौर भेजा। इन पैसों का उपयोग उन्होंने रास्ते में मिले कुछ साधुओं को भोजन करवाने के लिए किया। व्यापार के अन्य प्रयोजनों में भी जब उन्हें डाला गया, तो उन्होंने दुखी-दरिद्रों पर ही अपना धन खर्च किया।

अठारह वर्ष की आयु में उनका विवाह हुआ और बाद में उनके दो पुत्र  भी हुए। परंतु उनका मन संसार में कभी नहीं लगा और वे भक्ति की खोज में निकल पड़े। जगह-जगह उन्होंने अपने सिद्धांतों का प्रचार किया। वे लंगर  का आयोजन करते थे जहाँ अमीर-गरीब सभी एक रसोई में भोजन पकाते और खाते थे।

गुरु नानक देव जी ने हिंदू और मुसलमान धर्म की सभी अच्छाइयों का समावेश सिक्ख धर्म में किया। उन्होंने सुबह के समय की प्रार्थना के लिए ‘जपुजी साहिब’ और संध्या के समय के लिए ‘रहरास साहिब’ की रचना  की 1538 ई. में 70 वर्ष की आयु में वे परमात्मा में लीन हो गए। उनका संदेश उनके शिष्य अंगद ने आगे बढ़ाया।

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