गुड फ्राइडे
Good Friday
22 मार्च और 25 अप्रैल के बीच यह त्योहार मनाया जाता है। 22 मार्च के बाद पूर्णिमा के पश्चात् शुक्रवार को ‘गुड फ्राइडे’ मनाया जाता है। गुड फ्राइडे को हिंदी में ‘धन्य शुक्रवार’ कहते हैं। इसी दिन महात्मा ईसा को क्रुस पर चढ़ाया गया था। एक प्रकार से यह पर्व ईसाइयों के लिए शोक का दिन है। लेकिन ईसाई इस दिन को धन्य मानते हैं कि महात्मा ईसा ने उनको सद्मार्ग दिखाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
गुड फ्राइडे को ईसाई लोग गिरजाघरों में जाकर ईश्वर की आराधना करते हैं और ईसा मसीह का गुणगान करते हैं। क्योंकि उन्होंने ही धर्म का सच्चा रास्ता दिखाया और मनुष्यों के पापों सो उद्धार करने के लिए अपने प्राणों की बलि चढ़ा दी। ईसाई लोग इस दिन गरीबों को दान देते हैं। और अपाहिज व बीमारों की सेवा करना भी अपना कर्तव्य समझते हैं।
ईसा मसीह ने अपनी मृत्यु से पहले ही कहा था कि मैं तीन दिन के बाद फिर जी उठूगा। शत्रुओं ने इस कथन को भी ईसा की एक चाल समझा। ईसा की कब्र पर पहरेदार बैठा दिये गये। तीसरे दिन जब उनके पुनःउत्थान का समय आया तो एक देवदूत स्वर्ग से नीचे उतरा। वह कब्र पर रखे पत्थर को लुढ़काकर उस पर बैठ गया। फिर जोर से भूकंप आया। पहरेदार अचेत हो गये। इस बीच ईसा मसीह जीवित होकर कब्र से बाहर जा चुके थे। उसके बाद चालीस दिन तक वे पृथ्वी पर विचरण करते रहे, फिर अपनी इच्छा से उन्होंने स्वर्गवास किया।
ईसा मसीह को कोई लंबी जिंदगी नहीं मिली थी। वे 33 वर्ष ही जीवित रहे। इन वर्षों में उन्होंने अनेक आध्यात्मिक चमत्कार दिखाये। न जाने कितने मृत व्यक्तियों को उन्होंने जीवित कर दिया, कितने अंधों को आंखें दीं, रोगियों को नीरोग किया और कोढ़ियों को कोढ़ से मुक्त किया। इसका परिणाम एक ओर तो यह हुआ कि हजारों लोग उनके अनुयायी बन गये और दूसरी ओर इससे भी अधिक लोग उनके शत्रु हो गये। ईसा मसीह ने इसकी चिंता नहीं की। वे लोगों की सेवा, सद्भाव, सहयोग और सहायता का उपदेश देते हुए घूमने लगे। धर्म के नाम पर जो दंभ और विडंबना का राज्य था।, उसके विरुद्ध वे बोलने लगे।
ईसा मसीह के इस प्रकार के प्रचार का फल यह हुआ कि उनके विरोधियों ने उन परराज्य उलट देने का अभियोग लगाया और राजा पिलातुस के पास उन्हें गिरफ्तार कर ले जाया गया। विरोधियों का राजा पर इतना दबाव था कि उसे विवश होकर ईसा को फांसी की सजा सुनानी पड़ी। ईसा मसीह को यरूसलम नगर में कलवरी नामक पहाड़ी पर ले जाया गया। रास्ते भर शत्रुओं ने उन्हें गालियां दीं। उन पर थूकते गये और डंडों से उन पर प्रहार करते गये।
ईसा मसीह ने उत्तर में केवल यही कहा कि, “मेरे पिता, इन्हें क्षमा करना ये नहीं जानते हैं कि ये क्या कर रहे हैं।”
ईसाई धर्म के चिह्न ‘+’ इसका अर्थ यह होता है कि “अहंभाव सर्वथा दूर करो तथा पहले अपने अहंकार को सलीब पर चढ़ा दो ताकि तुम पर शाश्वतता का प्रसाद हो।”