Hindi Essay on “Black Money”, “काला धन”, Hindi Nibandh, Anuched for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

काला धन

Black Money

भूमिका– धन के बिना व्यापार नहीं चलता। व्यापार चाहे दो व्यक्तियों के बीच हो, थोक विक्रेता या परचन विक्रेता के बीच हो। धन की आवश्यकता तो रहती है। प्रत्येक देश की अपनी करंसी होती है और उसका मूल्य भी अलग-अलग होता है। प्राचीन काल में लोगों की आवश्यकताएं सीमित थी तथा परस्पर वस्तुओं का आदान-प्रदान करके अपना समय व्यतीत करते थे। आज के वैज्ञानिक युग में लोग सुख सुविधा का जीवन व्यतीत करने लगे और धन की आवश्यकता अनुभव करने लगे। धन को प्राप्त करने के ढंगों के बारे में सोचने लगे।

काले धन का अर्थ- काला धन शब्द एक लाक्षणिक अथवा व्यंजक शब्द है। ऐसा धन जो काले कर्मों से एकत्रित किया हो। वस्तुतः धन दो प्रकारका होता है सफेद और काला। अपनी मेहनत से कमाया हुआ धन, खुन पसीना बहाकर प्राप्त किया धन, जिसमें इमानदारी, सदाचार और सामाजिक नियमों का पालन है, सफेद धन कहलाता है। परन्तु बेईमानी, दुराचार, कृत्य से कमाया हुआ धन काला धन कहलाता है। धन वही है लेकिन एकत्रित करने में अन्तर है। सफेद धन में परिश्रम, इमानदारी और अच्छा आचरण होता है जबकि काले धन में बेईमानी होती है। सफेद धन को कमाना कठिन है पर काला धन आसानी से आता है। काला धन वह छिपा धन है जो व्यापार में, व्यवहार में नहीं आ पाता है। उसका उपयोग लोग सुःख सुविधाओं के लिए करते हैं। कुछ लोग आलीशान भवन बनवा लेते हैं। कुछ लोग अपना काला धन हीरे, जवाहरातों को खरीदकर खर्च कर देते हैं। उन्हें तिजोरियों में छिपा देते हैं। यही छिपा धन काला धन कहलाता है।

काले धन की उत्पति- यह एक विचारणीय प्रश्न है कि काले धन की उत्पति कैसे हुई। महात्मा गांधी जी ने लोगों के सामने सादा जीवन और उच्च विचार रखने की बात की थी। लेकिन भारत के स्वतन्त्र होने पर सरकार और जनता की यह मनोवृति बदल गई। लोगों ने जीवन स्तर बनाने के मोह में धन कमाने की होड़ सी लग गई। सादा जीवन और उच्च विचार के स्थान पर उच्च जीवन और नीच विचार का पाठ पढ़ लिया। सामाजिक जीवन में आगे बढ़ने की भावना पैदा हो गई। फलतः काले धन ने जन्म लिया। इस काले धन के जन्म लेने में कुछ सरकार का भी हाथ है। सरकार या राजनीतिक पार्टियां कितनी चीखें चिल्लाएं, लाख कहे काला धन बन्द करो पर चुनाव के दिनों में यही पार्टियां लाखों रुपया इन लोगों से लेती हैं। चुनाव के बाद इनकी पीठ पर खड़ी हो जाती है। इस तरह इन लोगों ने काला धन पैदा करने में सहायता दी। सरकार कहती है, रिश्वत लेना और देना दोनों ही बुरे हैं। कोई भी अपनी खुशी से रिश्वत देना नहीं चाहता। असल बात यह है कि अपना सारा समय कौन क्लर्कों को खुशाम दें करता हुआ खत्म करे। इसलिए प्रत्येक मनुष्य सोचता है कि चांदी के जूते से काम चलता है तो क्यों न चला लें। फिर शिकायत भी करें तो किससे? बड़े अफसर से लेकर चपड़ासी तक सब इस हमाम में नंगे हैं। व्यापारी भी कई तरह से काला धन कमाते हैं जैसे- वस्तुओं में मिलावट करके, वस्तुओं को भूमिगत करके या फिर कमी पैदा करके। चोरी-छिपी बाहर से माल मंगवाकर करों की चोरी करते हैं।

काले धन की हानियाँ- काला धन आर्थिक स्थिति को दुर्बल कर देता है। यह बाहर नहीं निकलता। यह सोने के बिस्कुटों, सोने की ईटों, सोने की सलाखों, ऊंचे-ऊंचे मकानों और ऐश्वर्य सामग्री में बदल जाता है। इससे राष्ट्र को हानि होती है। आज आम लोगों का महंगाई से जो जीना दुभर होता जा रहा है, उसका एक बड़ा कारण यह काला धन ही है। व्यापारी धन के बलबूते पर जब चाहे बाजार का सारा माल खरीद कर किसी भी वस्तु का अभाव पैदा कर सकते हैं और फिर जमा की गई चीजों के मनमाने दाम वसूल कर देश में महंगाई को बढ़ाते हैं।

काले धन के कारण समाज में अमीर और गरीब के बीच खाई बढ़ती जा रही है। अमीर लोग विवाह-शादिया या अन्य समारोहों में लाखों रुपुया खर्च कर देते हैं। धन से कमजोर व्यक्ति उनका सामना नहीं कर सकते। इसीलिए वे हीनता का अनुभव करते हैं। इस तरह काला धन सामाजिक पक्ष में आर्थिक विषमता पैदा करता है।

काला धन और सरकार- सरकार ने नियम ही कुछ ऐसे बना दिए हैं. यदि काला धन न पैदा किया जाए तो शायद बच्चों का पेट भी न पल सके। दिन प्रतिदिन महंगाई बढ़ रही है। जीवन का व्यय बढ़ रहा है। यदि एक व्यक्ति पर की कमाई न करे तो अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कैसे करे ? एक ही तरीका है, या तो सरकार उचित वेतन ने महंगाई को रोके या कर्मचारी इच्छाओं का दमन करे। सरकार व्यापारी से 50% तक कर ले लेती है। सफेद धन तो उसके पास कुछ भी नहीं बचता। इसीलिए वह काला धन कर चोरी करके पैदा करता है।

उपसंहार- एक अनुमान के अनुसार काला धन 50 हजार करोड़ से भी अधिक हो गया। बाबा राम देव और अन्ना हजारे इसीलिए लोकपाल बिल लाने की चेष्टा कर रहे हैं कि काला धन बाहर निकले, भ्रष्टाचार खत्म हो। अन्ना हजारे को काफी लोगों का समर्थन मिल रहा है। आशा की जाती है कि वे लोकपाल बिल पास करवा कर ही दम लेंगे। यद्यपि सरकार की ओर से काला धन को कम करने के लिए व्यापारी वर्ग को अनेक सुविधाएं दी जाती हैं तथापि यह प्रवृति अभी तक रुकती ही नहीं। वैसे तो काला धन निकालने के लिए सरकार प्रयास कर रही है।

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