Hindi Essay on “Bina vichare jo kare so pache pachtaye”, “बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए

Bina vichare jo kare so pache pachtaye 

मनुष्य विवेकशील प्राणी है। वह जो भी कार्य करता है उसे सोच-समझकर करता है, क्योंकि ईश्वर ने उसे सोचने-समझने की शक्ति दी है, उसको बुधि प्रदान की है। लेकिन स्वभाव से मानव का मन चंचल होता है और अपनी इसी चंचलता के कारण कभी-कभी वह अपने विवेक का इस्तेमाल करना भूल जाता है और अपनी व्यस्त जिदगी के कार्यों की ओर प्रवृत्त हो जाता है और ऐसे कार्य करने लगता है जिससे उसे दु:ख का अनुभव होता है तथा बिना सोचे-समझे कार्य करने से उसे असफलता और निराशा ही हाथ लगती है। ऐसे मनुष्य जो परिणाम की परवाह किए बिना ‘देखा जाएगा’ के नजरिए से कार्य करते हैं वे पश्चाताप की गहरी खाई में गिरते जाते हैं। केवल दूरदर्शी व्यक्ति जो हर कार्य को करने से पहले उसके बुरे और अच्छे परिणामों के बारे में सोचता है उसे ही सफलता का सच्चा सुख प्राप्त होता है। मनुष्य के इसी गुण के कारण उसे पशुओं से भिन्न माना गया है, क्योंकि पशु में बुधि नहीं होती। वास्तव में बदधिमान वही व्यक्ति है जो सोच-विचार कर कार्य करता है ताकि बाद में पछताना न पड़े।

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