Hindi Essay on “Bharat mein Jativad”, “भारत में जातिवाद” Complete Paragraph, Speech for Students.

भारत में जातिवाद

Bharat mein Jativad

 

हमारे देश में जातिवाद सबसे जटिल समस्या है। यह समस्या स्वस्थ राष्ट्रीयता के पनपने में बहुत बड़ा बाधक तत्व है। कहना कठिन है कि जाति-प्रथा देश में कब जन्मी। इतिहासकार यह मानते हैं कि जब आर्य भारतवर्ष में आए, उस समय उनका सम्मिलन यहाँ के देशवासियों से हुआ। इस तरह प्रारंभ में दो ही सांस्कृतिक समूह थे- आर्य और अनार्य। यह भेद जाति का और संस्कृति का था जो केवल आर्यों और अनार्यों तक ही सीमित नहीं रहा अपितु धीरे-धीरे आर्यों में भी भेद होने लगा और चार जातियों का प्रादुर्भाव हुआ यह जाति-व्यवस्था व्यवसाय पर आधारित थी, न कि जन्म पर। कालांतर में जाति-प्रथा जन्म और वंश से संबंधित हो गई। हमारे संविधान के निर्माता यह जानते थे कि जाति-प्रथा और लोकतंत्र एक साथ नहीं रह सकते हैं। उन्होंने संविधान में इस तरह के नियम बनाए जिनके द्वारा किसी भी नागरिक के विरुद्ध जाति के आधार पर भेदभाव या पक्षपात न हो सके। यह स्थिति दुखद है कि जातिवाद के अनुसार सभी जातियों के व्यवसाय पूर्व निर्धारित होते हैं। इस प्रकार की व्यवस्था सामाजिक न्याय के विपरीत है। जो भी राष्ट्र का हित चाहते हैं, वे जातिवाद का डटकर मुकाबला करें और उसके उन्मूलन में सहयोग दें।

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