बाढ़ का दृश्य
Badh ka Drishya
निबंध नंबर :- 01
मानव की विकास के लिए बढ़ती भूख प्रकृति को नुकसान पहुँचा, प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ती चली जा रही है। वृक्षों की कटाई से नदियों का रुख बदल रहा है और उनके बहाव पर भी नियंत्रण नहीं है। इन सबका मिलाजुला असर है बाढ़।
बाढ़ साधारणत: अत्यधिक वर्षा से आती है परंतु बताए कारणों से कभीकभी कम वर्षा भी बाढ़ का संकट ले आती है। बाढ़ में पानी अनियंत्रित होकर बहने लगता है और नदियाँ किनारे तोड़ अपने आसपास की आबादी, पेड़-पौधे, फसलें आदि सब बहा ले जाती हैं।
मुंबई जैसा महानगर भी बाढ़ की चपेट में अब हर वर्ष आने लगा है। जल प्रलय से अनेक मकान ढह गए और किसी-किसी जगह तो दो से तीन मंजिलों तक पानी भर गया। यातायात ठप हो गया। टेलीफ़ोन, बिजली आदि सभी सुविधाएँ बंद करनी पड़ीं।
पानी के भरने से लोग जहाँ-तहाँ फँस गए और अपने घर न पहुँच सके। गटर का पानी बहकर सड़कों पर आ गया और पीने का पानी भी दूषित हो गया। ऐसे में पानी से पैदा हुई बीमारियाँ फैलने लगीं।
इस भयंकर दृश्य से छुटकारा पाने के लिए नदी के मार्ग में वृक्षारोपण और कृत्रिम जलाशय बनाना और बाँध निर्माण आवश्यक हैं। हमें जागरूक नागरिक की तरह वनों के संरक्षण के लिए गैर-सरकारी संस्थाओं का साथ देना चाहिए।
निबंध नंबर :- 02
बाढ़ का दृश्य
Badh ka Drishya
सूर्य देवता भी प्रचंड किरणों के ताप से सभी जीव-जन्तु व्याकुल थे। इन्द्र देवता की कृपा-दृष्टि से आकाश काले बादल छा गए। ठंडी हवा के साथ ही मूसलाधार वर्षा होने लगी। चारों ओर उल्लास छा गया। लेकिन जब 4-5 दिन तक वर्षा न थमी तो लोगों में घबराहट फैल गई। शीघ्र ही आशंका और भय का वातावरण छा गया। पर्वतीय क्षेत्रों में भारी वर्षा के कारण यमुना नदी में बाढ़ आ गई। बाढ़ का पानी अनेक गाँवों में तहस-नहस करता हुआ मलोट नगर की ओर बढ़ने लगा। दूर-दूर तक एक विशाल सागर-सा दिखाई दे रहा था। घर, मकान, झोंपडियां और फसलें सभी जल-मग्न हो गए। शीघ्र ही पानी ने नगर को चारों ओर से घेर लिया। नगर के चारों ओर बांध बनाया जाने लगा। रेलवे लाइन भी पानी में डूब गई। नौकाओं द्वारा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाने लगा। बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में विद्यार्थी, सामाजिक कार्यकर्ता और सरकारी कर्मचारी राहत कार्य के लिए जाने लगे। केन्द्रीय सरकार ने हैलीकाप्टरों द्वारा खाने की वस्तुएं और दवाईयां पहुंचाने का कार्य आरम्भ कर दिया। प्रत्येक मकान में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया। लोग छतों पर बैठे पानी के निकलने की प्रतीक्षा करने लगे। असंख्य लोग तथा पश दस विनाशकारी बाढ के शिकार बन गए। लोगों के घर और खेत बर्बाद हो गए। भारत सरकार ने सभी बाढ़ ग्रस्त लोगों यथा सम्भव सहायता की।