Hindi Essay on “Anivarya Sainik Shiksha”, “अनिवार्य सैनिक शिक्षा”, Hindi Nibandh, Anuched for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

अनिवार्य सैनिक शिक्षा

Anivarya Sainik Shiksha

निबंध नंबर : 01

भूमिका- सभ्यता के विकास के साथ-साथ मनुष्य ने समाज बनाकर कर रहना सीखा। समाज में प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे के प्रति अपने उत्तरदायित्व अधिकार तथा कर्त्तव्य रखताहै। समाज में भिन्न-भिन्न जाति और धर्म के लोग रहते हैं। प्रत्येक राष्ट्र की अपनी भौगोलिक सीमा होती है। इसी सीमा के अन्दर रह कर सभी समुदाय के लोग सामूहिक प्रगति के लिए प्रयत्नशील होते हैं। राष्ट्र की सुरक्षा एक प्रकार से हमारा सबका कर्त्तव्य है। राष्ट्र की सुरक्षा के लिए सैनिक शिक्षा की आवश्यकता है।

वर्णाश्रम अनवस्था- पुराने समय में हमारा समाज वर्गों में बंटा हुआ था। ब्राह्मण का कार्य विद्या देना था। क्षत्रिय का कार्य युद्ध करना था। वैश्य का कार्य धन सग्रह करना था और शूद्र का कार्य सेवा करना होता था। सभी लोग अपना-अपना कार्य करते रहते थे। किसी के कार्य में कोई बाधा नहीं पहुंचाता था। युद्ध केवल सैनिकों के सैनिकों के साथ होते थे। हल चलाते हुए किसान, विद्या देते हुए अध्यापक को, श्रम करते हुए श्रमिक को विद्या पढ़ने वाले विद्यार्थियों को कोई कुछ न कहता था। युद्ध का नाम केवल क्षत्रिय लोगों के हाथ में था और सैनिक शिक्षा भी राजकुमारों की दी जाती थी। महाभारत के समय में गुरू द्रोणाचार्य ने एक लव्य को इसलिए शिक्षा नहीं दी थी क्योंकि वह भिन्न जाति का था। आज धर्म के नियम ढीले पड़ गए हैं। आज जात-पात का भेदभाव नहीं रहा। गीता में भगवान् कृष्ण ने कहा था कि जाति कर्म से माननी चाहिए जन्म से नहीं। सैनिक शिक्षा अब किसी विशेष वर्ग के लिए नहीं बल्कि सभी के लिए अनिवार्य समझी जाने लगी है। विश्व व्यापी प्रथम और द्वितीय महायुद्ध जन-संहार को देखते हुए यह बात स्पष्ट हो गई है कि प्रत्येक के लिए सैनिक शिक्षा आवश्यक है क्योंकि अब अस्त्रों या शस्त्रों का युद्ध नहीं। आज तो विज्ञान का युद्ध है। कोई सैनिक हो या असैनिक, अपराधी हो या निरअपराधी, सभीका विनाश अणु बम कर देते हैं। आत्म रक्षा के लिए, देश की रक्षा के लिए यह आवश्यक हो गया है कि देश के हर मानव को सैनिक शिक्षा दी जाए।

सभी के लिए अनिवार्य क्यों ? श्री हृदयनाथ कुजैरु ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि प्रत्येक विद्यार्थी को सैनिक शिक्षा मिलनी चाहिए। उनका कहना था कि प्रत्येक छोटे बच्चेको जो स्कूल में पढ़ता है उसे जूनियर एन० सी० सी०बी० ए० के विद्यार्थियों के लिए पी० ई० सी० और एम० ए० श्रेणियों के बच्चों के लिए सीनियर एन० सी० सी० की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए यह अति आवश्यक है। इस कार्य में उतनी प्रगति नहीं हुई जितनी होनी चाहिए थी। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि स्कूलों और कॉलेजों में यह जरूरी विषय नहीं है। यदि इसे आवश्यक विषय बना दिया जाए तब सभी विद्यार्थियों की सैनिक शिक्षा अनिवार्य रूप से लेनी पड़ेगी। केवल विद्यार्थी वर्ग ही नहीं बल्कि दुकानदार, व्यापारी, वकील या डाक्टर, क्लर्क, प्रोफेसर सभी के लिए सैनिक शिक्षा अनिवार्य कर देनी चाहिए। केवल विकलांग को छूट होनी चाहिए।

आज विश्व के अधिकांश देशों में लड़कियों को भी सैनिक शिक्षा दी जाती है। हमारे देश में भी अब लड़कियों को एन० सी० सी० की शिक्षा दी जाती है। आज तो पुलिस बल, केन्द्रीय पुलिस बल, नारी सैनिकों और महिला पुलिस दलों का गठन हुआ है। भारत की नारियां पुलिस दलों मे ओर बहुत से अच्छे पदों पर काम कर रही है। सैनिक महिला पुलिस दल भी आज सेना का एक अंग बन गया है।

शिक्षा के लाभ- सैनिक शिक्षा के बहुत से लाभ हैं। देश को रक्षा तो इससे होगी ही। प्रत्येक नागरिक इससे आत्मरक्षा कर सकता है। यह सोचना कि देश की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है- यह ठीक नहीं है। सैनिक देश की सीमाओं की रक्षा करेगें और नागरिकों की रक्षा कौन करे? यदि सभी देशवासी सैनिक शिक्षा प्राप्त होगें तो कोई उन्हें पराजित नहीं कर सकता क्योंकि सीमाओं की रक्षा सैनिक करेंगे और भीतर की रक्षा नागरिक करेगें। सैनिक शिक्षा से स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। सैनिक शिक्षा से व्यक्ति अपना और देश दोनों का हित कर सकता है।

उपसंहार– सैनिक शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य होनी चाहिए। अपनी संस्कृति और सभ्यता जन-जीवन तथा समाप्ति की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्त्तव्य है। आज जबकि विश्व में युद्धों के बादल छाये रहते हैं तो हमें राष्ट्र की रक्षा के लिए अवश्य ही तत्पर रहना चाहिए। इस कार्य के लिए प्रत्येक व्यक्ति को सैनिक शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि समय आने पर अपने राष्ट्र की सुरक्षा कर सकें।

 

निबंध नंबर : 02

 

अनिवार्य सैनिक शिक्षा

Anivarya Sainik Shiksha 

आज सभी देश अपनी सैनिक शक्ति बढ़ाने में लगे हुए हैं और आधनिकतम शस्त्रास्त्रों का निर्माण कर रहे हैं। ऐसे में भारत को सैनिक शिक्षा अनिवार्य कर देनी चाहिए।

हमारा भारत स्वतंत्र देश है। परंतु उसकी सीमाएँ शत्रुओं से घिरी हुई हैं। चारों ओर युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं। चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश कभी भी उपद्रव खड़ा कर सकते हैं। ऐसी अवस्था में भारत के लिए आवश्यक है कि वह सैनिक दृष्टि से सर्वदा तैयार रहे। क्योंकि आजादी की रक्षा ‘शांति-शांति’ कहने से नहीं, शक्तिशाली होने से ही हो सकती है। अतः आंतरिक शांति बनाए रखने के लिए भारत को सैन्य शक्ति के विस्तार की आवश्यकता होगी। इन आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर भारत में सैनिक शिक्षा को अनिवार्य कर देना चाहिए।

सैनिक शिक्षा का अर्थ है-सैनिकों को दी जाने वाली शिक्षा, सैनिक को नवीन और आधुनिक शस्त्रास्त्रों की शिक्षा देना। देश की रक्षा के लिए स्कूलों में सैनिक शिक्षा दी जानी चाहिए अर्थात् सभी विद्यार्थियों को सैनिक शिक्षा में निपुण कर देना चाहिए। इस प्रकार की योजना से संपूर्ण देश सैनिक नागरिकों से सुसज्जित हो जाएगा और संकटकाल में सभी नागरिक देश की रक्षा कर सकेंगे तथा शत्रु के दाँत खट्टे कर सकेंगे। 17 वर्ष से 35 वर्ष तक की आयु के सभी युवक जब सैनिक रूप से प्रशिक्षित होंगे तो दूसरा देश हम पर आक्रमण करने का साहस नहीं सकेगा।

सुरक्षा कार्य दो प्रकार से संपन्न किया जा सकता है-सैनिक और अस्त्र शस्त्रों के निर्माण द्वारा। वर्तमान में प्रत्येक देश अनेक अस्त्र शस्त्रों का निर्माण कर रहा है, उसके बाद उनका प्रयोग कर लिए सैनिकों की भी आवश्यकता होगी। और ये सैनिक कहीं बाहर से नहीं आएँगे, बल्कि अपने देश में ही इनको तैयार करना होगा। अत और देश के प्रत्येक नागरिक को सैनिक बनाने की आवश्यकता है।

केन्द्र सरकार ने राष्ट्र की रक्षा के लिए अनेक योजनाएँ आरंभ की हैं। जैसे-एन.सी.सी, प्रांतीय रक्षा दल, एग्ज़िलरी कैडिट कोर, एग्जिलरी वायुसेना आदि। सरकार को हाईस्कूल तक ए.सी.सी. और इंटरमीडिएट तक एन.सी.सी अनिवार्य कर देनी चाहिए।

सैनिक शिक्षा के अनेक लाभ हैं। जैसे-युद्ध की स्थिति में सैनिक शिक्षा प्राप्त युवकों को पूर्ण सैनिक बना लिया जाता है। गृह युद्ध की दशा में इन युवकों का उपयोग किया जाता है। इससे विद्यार्थियों के स्वास्थ्य में सुधार होता है वहीं उनमें देश-प्रेम एवं राष्ट्रीय भावना का विकास होता है। साथ ही उनमें शक्ति, वीरता, साहस, सहनशीलता और भ्रातृत्व इत्यादि गुणों का विकास होता है। इसलिए अपने देश के अस्तित्व की रक्षा के लिए अनिवार्य सैनिक शिक्षा की नितांत आवश्यकता है।

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