Hindi Essay on “Ahimsa-Hamari Sanskriti ka Mooladhar ”, “अहिंसा-हमारी संस्कृति का मूलाधार” Complete Paragraph, Speech for Students.

अहिंसा-हमारी संस्कृति का मूलाधार

Ahimsa-Hamari Sanskriti ka Mooladhar 

सत्य और अहिंसा, केवल इसी देश के लिए नहीं, मानव मात्र के जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक हो ग हगहरा देशन लोकतंत्र की स्थापना कर चुके हैं जिसका अर्थ है व्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता जिसमें वह अपना पूरा विकास कर सके और साथ ही सामहिक और सामाजिक एकता भी। व्यक्ति और समाज के बीच में विरोध का आभास होता है। व्यक्ति अपनी उन्नति और शिकाय चाहता है और यदि एक ही उन्नति और विकास दूसरे की उन्नति और विकास में बाधक हो, तो संपर्ष पैदा होता है और यह संग रागी हो सकता है जब उसके विकास के पथ अहिंसा के हों। हमारी संस्कृति का मलाधार इसी अहिंसा सत्य पर स्थापित रहा है। नहीं जहा हमारे नैतिक सिद्धांतों का वर्णन आया है, अहिंसा को ही उसमें मुख्य स्थान दिया गया है। अहिंसा का दूसरा रूप त्याग है और हिंसा का इसरारूप या दूसरा नाम स्वार्थ है, जो प्रायः भोग के रूप में हमारे सामने आता है। हमारी सारी नैतिक चेतना इसी तत्व से ओत-प्रोत है। इसीलिए हमने भिन्न-भिन्न विचारधाराओं को स्वच्छतापूर्वक पनपने और भिन्न-भिन्न भाषाओं को विकसित और प्रफुटित होने दिया।

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