आँखों देखी दुर्घटना का दृश्य
Aankhon dekhi Durghatna ka Drishya
निबंध नंबर:- 01
पिछले रविवार की बात है मैं अपने मित्र के साथ सुबह-सुबह सैर करने माल रोड पर गया। वहाँ बहुत से स्त्री-पुरुष और बच्चे भी सैर करने आये हुए थे। जब से दूरदर्शन पर स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम आने लगे हैं अधिक-से-अधिक लोग प्रातः भ्रमण के लिए इन जगहों पर आने लगे हैं। रविवार होने के कारण उस दिन भीड़ कुछ अधिक थी। तभी मैंने वहाँ एक युवा दंपत्ति को अपने छोटे बच्चे को बच्चा गाड़ी में बिठा कर सैर करते देखा। अचानक लड़कियों के स्कूल की ओर एक तांगा आता हुआ दिखाई पड़ा। उस में चार पाँच सवारियाँ भी बैठी थीं। बच्चा गाड़ी वाले दम्पत्ति ने तांगे से बचने के लिए सड़क पार करनी चाही। जब वे सड़क पार कर रहे थे तो दूसरी तरफ से बड़ी तेज़ गति से आ रही एक कार उस तांगे से टकरा गई। तांगा चलाने वाला और दो सवारियां बुरी तरह से घायल हो गये थे। बच्चा गाड़ी वाली स्त्री के हाथ से बच्चा गाड़ी छूट गयी किन्तु इस से पूर्व कि वह बच्चे समेत तांगे और कार की टक्कर वाली जगह पर पहुँच कर उन से टकरा जाती मेरे साथी ने भागकर उस बच्चा गाड़ी को सम्भाल लिया। कार चलाने वाले सज्जन को भी काफ़ी चोटें आई थीं पर उस की कार को कोई खास क्षति नहीं पहुँची थी। माल रोड पर गश्त करने वाली पुलिस के तीन चार सिपाही तुरन्त घटना स्थल पर पहुँच गये। उन्होंने वायरलैस द्वारा अपने अधिकारियों और हस्पताल को फोन किया। चन्द ही मिनटों में वहाँ एम्बुलैंस गाड़ी आ गई। हम सब ने घायलों को उठा कर एम्बुलैंस में लिटाया। पुलिस। के वरिष्ठ अधिकारी भी तुरंत वहाँ पहुँच गये। उन्होंने कार चालक को पकड़ लिया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया कि सारा दोष कार चालक का था। इस सैर सपाटे वाली सडक पर वह 100 कि० मी० की स्पीड से कार चला रहा था और तांगा सामने आने पर बेक न लगा सका। दूसरी तरफ बच्चे को बचाने के लिए मेरे मित्र द्वारा दिखाई फुर्ती और। चस्ती की भी लोग सराहना कर रहे थे। उस दंपति ने उस का विशेष धन्यवाद किया। बाद में हमें पता चला कि तांगा चालक ने हस्पताल में जाकर दम तोड़ दिया। जिसने भी इस घटना के बारे में सुना वह दु:खी हुए बिना न रह सका।
निबंध नंबर:- 02
आँखों देखी दुर्घटना
Aankhon dekhi Durghatna
जनवरी का महीना था। उस दिन बहुत ठण्ड थी। धुंध भी गिरने की थी। सड़कों पर इक्का-दुक्का लोग ही दिखाई पड़ रहे थे। मैं अपने घर की बालकनी में खड़ा था कि अचानक एक तेज आवाज़ सुनाई पड़ी। सामने के मोड़ पर चालक के नियन्त्रण खो देने से एक गाड़ी बिजली के खम्भे से टकरा गयी थी।
मैं सहायता के लिये नीचे दौड़ा। दूसरे लोग भी जमा होने लगे। चालक को बहुत चोटें आयी थीं। हमने उसे कार से बाहर निकलने में सहायता की। उसके माथे पर गहरा घाव था और खून बह रहा था। एक दूसरी कार में उसे अस्पताल ले जाया गया।
चालक गाड़ी में अकेला ही था। दुर्घटना में गाड़ी बुरी तरह टूट गयी थी। खून बह कर सड़क पर जमा हो गया था। कुछ समय बाद पुलिस ने एकत्र हुयी भीड़ को हटाया। फिर उन्होंने पूछताछ करनी प्रारम्भ की। यह एक भयानक अनुभव था। यह सब इतनी जल्दी हुआ कि मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। दुर्घटना का स्मरण आते ही मैं अभी भी कांप जाता हूँ।
निबंध नंबर:- 03
आँखों देखी दुर्घटना
Aankhon dekhi Durghatna
एक दिन मैं ई.एम.यू. से नई दिल्ली से फरीदाबाद जा रहा था। अभी ट्रेन तिलक नगर से चली थी कि डिब्बा पटरी से उतर गया। इसका पता तब चला जब एक बड़े झटके से गाड़ी रुकी। गाड़ी में सवार यात्री एक-दूसरे पर गिरे। इसमें दूधिए भी सवार थे इसलिए लोगों के सर, हाथ, पैर में उनके डिब्बे लगे। डिब्बे में खून ही खून फैल गया। स्वस्थ लोग तत्काल गाड़ी से उतरे और लोगों को निकालकर पास के जयप्रकाश नारायण अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाने लगे। तत्काल तिलकनगर स्टेशन मास्टर ने संबंधित अधिकारियों को सूचित किया। कुछ ही देर में राहत दल आ गया। वह गंभीर घायलों को अस्तपाल ले जा रहा था। कुछ लोग सीट टूटने से उनके नीचे दब गए थे। उन्हें सीटें काटकर निकाला जा रहा था। कम घायलों को वहीं प्राथमिक चिकित्सा देकर छुट्टी दी जा रही थी। कम घायल भी गंभीर लोगों को बाहर निकालने व अस्पताल पहुँचाने में मदद कर रहे थे। करीब आध घंटे में सभी घायलों को उपचार मुहैया करा दिया गया। राहत गाड़ी ने डिब्बा सामान्य किया। एक घंटे बाद गाड़ी अपने गंतव्य स्थल के लिए रवाना हुई। घर पहुँचकर जब मैंने इस दुर्घटना की जानकारी दी तो सभी के होश गुम थे। दुआएँ दे रहे थे कि जो घायल हो गए हैं, जल्द ठीक होकर अपने घर पहुँचें।
Nice compo
gg
Very good 💯