Hindi Biography of “Vijay Amritraj”, “विजय अमृतराज” Birth, Achievements, Records, Career Info, Age, Complete Essay,Paragraph in Hindi.

विजय अमृतराज

Vijay Amritraj

जन्म : 14 दिसम्बर, 1953

जन्मस्थान : चेन्नई (तमिलनाडू)

विश्व में प्रसिद्ध खेल हस्तियों में शामिल विजय प्रकाश अमृतराज को ‘विजय अमृतराज’ नाम से ही जाना जाता है। वह विश्व के सर्वश्रेष्ठ टेनिसखिलाड़ियों में से एक रहे। उनकी प्रसिद्धि का आलम यह था कि वह टेनिस के ए.बी.सी. के रूप में पहचाने जाने वाले तीन खिलाड़ियों में से एक थे। अमृतराज का अर्थ था-ए; बियोन बोर्ग थे- बी; तथा जिमी कानर्स थे-सी। विजय अमृतराजने टेनिस जगत में भारत का नाम रोशन कर दिया।

टेनिस का खेल विजय अमृतराज के परिवार की संस्कृति में शामिल था। बचपन से ही उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता था लेकिन उनके परिवार व माता-पिता । की देखरेख के कारण जल्दी ही उन्हें अपनी परेशानियों से मुक्ति मिल गई। उनका झुकाव इस खेल की ओर प्रारम्भ से ही था, फिर वह एक अत्यन्त प्रतिभावान व्यक्ति रामाराव के सम्पर्क में आए और विजय अमृतराज ने उनके निर्देशन में तेज़ी से खेल सीखना आरम्भ कर दिया।

इसके पश्चात उनके खेल में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की होती चली गई। 1970 में उन्हें पहली बड़ी सफलता मिली जब उन्होंने जूनियर राष्ट्रीय ख़िताब जीत लिया। 1971 में ही उन्होंने एशियन जूनियर का ख़िताब भी जीता। इसी वर्ष उन्होंने विम्बलडन में अन्तिम 4 खिलाड़ियों के बीच अपना स्थान बनाया और अपने खेल की अद्भुत छाप छोड़ी।

6 फुट 3 इंच लम्बे विजय अमृतराज ने 1972 में भारतीय खेल जगत। में सनसनी पैदा कर दी। उन्होंने रामानाथन कृष्णन, जयदीप मुखर्जी तथा। प्रेमजीत लाल जैसे दिग्गज खिलाड़ियों को हरा दिया। उन्होंने तीन वर्ष टेनिस की राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती, ये वर्ष थे 1972, 1973 तथा 1975। वैसे इस वक्त तक विजय अमृतराज का खेल ऊँचाइयों को छुने लगा था। लेकिनउनके खेल को असली सफलता तब मिली जब उन्होंने पंचो गोंसाल्वेज तथा केन रोजवाल के निर्देशन में खेलना शुरू किया और अपने खेल को ‘प्रोफेशनल टच’ दिया।

वर्ष 1973 का विजय अमृतराज के जीवन में अति विशिष्ट महत्त्व है। इसी वर्ष उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। उन्होंने अमेरिका के ब्रेटन वुड्स में वॉल्वो ग्रैंड प्रिक्स जैसी अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिता जीत ली। इस प्रतियोगिता को जीतते वक़्त उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय स्तर के अनेक बड़े खिलाड़ियों को हरा दिया। ये अन्तरराष्ट्रीय खिलाड़ी थे-रॉड लेवर, जिमी कॉनर्स। उस वक़्त तक उनके आसानी से लगाए जाने वाले स्ट्रोक की प्रशंसा हर ओर फैल चुकी थी।

अगले वर्ष विजय अमृतराज ने भारत को डेविस कप आस्ट्रेलिया में फाइनल में पहुँचाने में मदद की। उन्होंने सोवियत यूनियन को भी हराकर अपनी पहचान अलग बनाने का प्रयत्न किया। भारत की ओर से ये दो मैच भारत की धरती पर ही खेले गए। भारत को फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के साथ मैच खेलना था लेकिन यह मैच खेला ही नहीं जा सका क्योंकि इस पर राजनीतिक रंग चढ़ गया था। इन राजनीतिक नियमों के अनुसार उस वक्त भारत दक्षिण अफ्रीका के साथ नहीं खेल सकता था।

विजय अमृतराज सदैव एक कुशल और प्रतिभावान खिलाड़ी रहे। उनके स्ट्रोक अत्यन्त आसानी से व कुशल तरीके से लगाए जाते थे, जिसकी सभी देखने वाले प्रशंसा करते थे। दक्षिण अफ्रीका के साथ मैच न खेल पाने के कारण विजय अमृतराज को निराशा हाथ लगी और उन्होंने अपना ध्यान दूसरे सर्किट की ओर लगाना आरम्भ कर दिया।

विजय अमृतराज ने अपने खेल में निखार लाते हुए उसे ऊँचाइयों तक ले जाने का पूर्ण प्रयास किया, इसीलिए वह विश्व के 50 सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के बीच अपना स्थान निश्चित कर सके। उनकी यह रैंकिंग वर्षों तक रही। विजय अमृतराज की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग 16वीं रही। उनकी विश्व की सर्वश्रेष्ठ रैंकिग वाले कुछ टेनिस खिलाड़ियों से कई बार अनबन रही और झगड़ा हुआ।

1973 तथा 1981 में अमृतराज विंबलडन के क्वार्टर फाइनल में भी पहुंचे। अपने प्रयासों से विजय, आगे बढ़ते रहे। 1976 में विजय अमृतराज अपने भाई आनंद के साथ विंबलडन मुकाबले में उतरे और सेमीफाइनल तक पहुंचे।

उपलब्धियां :

  • 1970 में विजय अमृतराज ने राष्ट्रीय जूनियर टाइटल जीता।
  • वे टेनिस की ‘ए.बी.सी.’ माने जाने वाले तीन खिलाड़ियों में से एकथे। इनके अलावा बियोन बोर्ग और जिमी कॉनर्स इस ग्रुप में थे।
  • 1971 में राष्ट्रीय जूनियर ख़िताब के अतिरिक्त उन्होंने एशियन जूनियरख़िताब भी जीता।
  • 1972, 1973 तथा 1975 में वह राष्ट्रीय चैंपियन रहे।
  • 1973 में विजय अमृतराज ने अमेरिका के ब्रेटन वुड्स में वॉल्वो ग्रेडप्रिक्स जीतकर विश्व में सनसनी फैला दी।
  • वे विश्व के 50 टेनिस खिलाड़ियों के बीच अपना स्थान बना सके।
  • उनकी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग 16 रही।
  • 1976 में वह विंबलडन के सेमी फाइनल में पहुंचे।

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