Daya Dharam Ka Mool Hai “दया धर्म का मूल है” Essay in Hindi, Best Essay, Paragraph for Class 8, 9, 10, 12 Students.

दया धर्म का मूल है

Daya Dharam Ka Mool Hai

दया का अर्थ है-किसी पीड़ित के दुख को देखकर पिघल जाना। यह हर मानव का सहज गुण है। परमात्मा ने सभी नर-नारियों की आँखों में आँसू दिए हैं। इन्हीं आँसुओं के बल पर कोई साधारण मनुष्य देवता बन जाता है और कोई राक्षस पिघलकर फिर से सच्चा मानव बन जाता है। जिस मनुष्य में जितनी अधिक दया होती है, वह उतना ही कोमल, उदार और पूजनीय इनसान बन जाता है। जितने भी महात्मा और नायक होते हैं उनमें यही गुण सबसे अधिक होता है। वे रोते हुए को हँसाना जानते हैं और घायल को मरहम लगाते हैं। वे हर दुखी के दुख को हरते हैं। राम, रहीम, नानक या यीशु-सभी में यही गुण विशेष मिलेगा। यही कारण है कि सभी धर्मों ने दया और करुणा पर बल दिया है।

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