Chunav Prasar ka Ek Din “चुनाव प्रसार का एक दिन” Hindi Essay 250 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

चुनाव प्रसार का एक दिन

Chunav Prasar ka Ek Din

मार्च का महीना था। दिल्ली नगर निगम के चुनाव हो रहे थे। विभिन्न पार्टियों के नेता अपनी-अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए जबरदस्त चुनाव मुहिम छेड़े हुए थे। सुबह जब मैं बाज़ार सब्जी लेने गया तो चौराहे पर टी.वी. लगा दिखा। इस टी.वी. पर बहुजन समाजवादी पार्टी की प्रमुख सुश्री मायावती भाषण दे रही थी। वह अपनी पार्टी को गरीबों और हर जाति को साथ लेकर चलने की बात बता रही थीं और बाकी पार्टियों की तीखी आलोचना कर रही थीं। वह दिल्ली सरकार के प्रमुख अरविन्द केजरीवाल को नकारा साबित करने में लगी थीं। उनका कहना था कि इनकी सरकार के दो साल केवल केन्द्र से लड़ते बीते हैं। कोई भी गरीबों के लिए अच्छा काम नहीं किया है। उन्होंने केन्द्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री विदेशों में भ्रमण कर रहे हैं लेकिन अभी तक कोई भी ऐसा काम नहीं हो पाया है जिससे काला धन विदेश लाने की उम्मीद बढ़े। उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियाँ गिनाई और अपने पार्टी के उम्मीदवार को जिताने की बात कही। दोपहर को भारतीय जनता पार्टी के नेता भी एक समाचार चैनल पर अपनी पार्टी के समर्थन में भाषण करते दिखे। उन्होंने कहा कि मायावती के शासनकाल में दलितों पर जबरदस्त अत्याचार किए गए जबकि हमारी सरकार ने सभी के क्ल्याण के लिए कुछ न कुछ अवश्य किया है। इसी तरह रात को एक सभा आयोजित की गई। यह समाजवादी पार्टी की सभा थी। इसमें बहुत देर तक श्रोता पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव की प्रतीक्षा करते रहे पर वे नहीं आए।

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