Antrik Samasyao Se Jujhta Hamara Desh “आंतरिक समस्याओं से जूझता हमारा देश” Hindi Essay 300 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

आंतरिक समस्याओं से जूझता हमारा देश

Antrik Samasyao Se Jujhta Hamara Desh

भारत आज बाहरी समस्याओं से कम आंतरिक समस्याओं से ज्यादा जूझ रहा है। ये समस्याएँ कई प्रकार की हैं। लेकिन मुख्य रूप से उसकी दो आंतरिक समस्याएँ मुँह बाए खड़ी हैं: पहली है। भ्रष्टाचार की समस्या, दूसरी है महँगाई की समस्या। इन समस्याओं के कारण साफ-सुथरे और ईमानदार लोगों का जीवन जीना मुश्किल होता जा रहा है। महँगाई इतनी है कि सामान्य व्यक्ति की भूखों मरने की नौबत आ गई है। आज गरीब आदमी दस हजार रुपए महीने से ज्यादा नहीं कमा पा रहा है जबकि उसके परिवार का खर्च बीस हजार रुपए महीने है। ऐसे में वह क्या करें और क्या न करे। वह मकान का किराया दे या रसोई का खर्च चलाए अथवा वस्त्रों पर खर्च करे। या वह अपने बच्चों की पढ़ाई पर पैसे खर्च करे। जिस देश में दालें 150 से 200 रुपए प्रति किलो बिक रही हो। कोई भी सब्जी चालीस-पचास रुपए प्रतिकिलो रुपए से कम न हो, आप ही बताइए कि वह कैसे इस देश में जीवित रह सकता है। इसी महँगाई पर लगाम लगाने के लिए छोटा तबका भ्रष्टाचार करता है। और बड़ा तबका अपना धन अधिक बढाने के लिए यही तरीका अपनाता है। मजदूर वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग महँगाई से इतना त्रस्त है कि स्वयं को सजीव शव मानता है। ऊपर से सरकार नित्य नए कर लगाकर उसकी कमर तोड़ देती है। कुछ राजनेता देश में भ्रष्टाचार की जिंदा मिसाल बन गए हैं। कितने ही भ्रष्टाचारियों का काला धन विदेशों में जमा है। विजया माल्य जैसे भ्रष्टाचारी विदेश जाकर इतरा रहे हैं। खड़के पर भ्रष्टचार के आरोप लगे तो पद से इस्तीफा दे दिया। जाँच आने में बरसों लग जाएँगे। सरकार बदल जाएगी। भ्रष्टाचारी बच जाएँगे। सदियों से यही होता आया है और यही होता रहेगा। भारत की आंतरिक समस्याओं से संघर्ष साधारण जन ही कर सकते हैं। भ्रष्टाचारियों और महंगाई के खिलाफ जबरदस्त मुहिम छेडनी होगी तभी देश इन दोनों समस्याओं से छुटकारा पा सकता है।

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