10 Lines on “Gurbachan Singh Salaria” (Military personnel) “गुरबचन सिंह सलारिया-कप्तान” Complete Biography in Hindi, Essay for Kids and Students.

गुरबचन सिंह सलारिया-कप्तान

Gurbachan Singh Salaria

जन्म: 29 नवंबर 1935, गुरदासपुर
मृत्यु: 5 दिसंबर 1961, लुबुम्बाशी, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य

  1. कप्तान गुरबचन सिंह सलारिया, श्री एम. राम के पुत्र थे।
  2. 9 जून 1957 को उन्हें भारतीय सेना की 3/1 गोरखा राइफल्स में कमीशन मिला।
  3. सन् 1960-64 में कांगो में शांति स्थापित करने के संयुक्त प्रयास में भारत ने अपनी सेना की बड़ी टुकड़ी भेजी थी।
  4. 5 दिसंबर, 1961 को 3/1 गोरखा राइफल्स को कटांगा में ऐलिजाबेथविले के एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र चौफेर पर शत्रु सैनिकों के बनाए अवरोधों को साफ करने का आदेश दिया गया।
  5. योजना बनाई गई कि दो स्वीडिश कदचित कारों के साथ एक कम्पनी आगे से हमला करेगी और कप्तान सलारिया के नेतृत्व में दूसरी कम्पनी दो स्वीडिश कवचित कार्मिक वाहनों के साथ हवाई मैदान की ओर से अवरोध हटाने का प्रयास करेगी।
  6. इस अभियान में कप्तान सलारिया छिपे हुए शत्रुओं की स्वचालित और शस्त्रों की भारी गोलाबारी के बीच घिर गए।
  7. शत्रु सैनिकों की संख्या 900 थी जबकि कप्तान सलारिया के पास थोड़े ही सैनिक थे। उन्होंने अपना संतुलन बनाए रखा।
  8. दुश्मन सेना के चौफेर क्षेत्र पर बढ़ने की आशंका को देखते हुए राकेट लाँचर की सहायता से संगीनों, खुकरियों और ग्रेनेडों के साथ हमला कर दिया, जिसमें 40 शत्रु सैनिक मारे गए, उनकी दो कवचित कारें नष्ट हो गईं। शत्रुसेना भाग खड़ी हुई।
  9. स्वचालित हथियारों से गोले फटने के कारण कप्तान सलारिया की गर्दन पर चोट लग चुकी थी परन्तु वह तब तक लड़ते रहे जब तक कि बेहोश होकर गिर नहीं पड़े।
  10. कप्तान सलारिया विदेश में सेवा के लिए ‘परमवीर चक्र’ पाने वाले पहले व्यक्ति थे।

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